शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024: जनता ने एकता और विकास को दिया प्राथमिकता: सुखरंजन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 में, भारत की जनता ने अपने मतदान के माध्यम से एक स्पष्ट संदेश दिया है – वह एकता, विकास और समावेशिता को प्राथमिकता देती है। इस चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विभाजनकारी राजनीति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति को मतदाताओं ने अस्वीकार कर दिया है।

राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह चुनाव का परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार और एकाधिकारवादी शैली पर एक प्रभावी रोक साबित हुआ है। जनता ने अपने मताधिकार का उपयोग करके यह संकेत दिया है कि वह किसी भी नेता की अतिशय आत्म-केंद्रितता को स्वीकार नहीं करती।”

उन्होंने आगे बताया, “पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, मोदी और भाजपा ने रोजगार, महंगाई और किसानों की समस्याओं जैसे जनता के बुनियादी मुद्दों को किनारे रखकर, सांप्रदायिक विभाजन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया था। लेकिन जनता ने इस रणनीति को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, यह दर्शाता है कि वह विकास और एकता पर आधारित राजनीति चाहती है, न कि विभाजन पर।”

इस बात का एक ठोस उदाहरण उत्तर प्रदेश के अयोध्या (पूर्व में फैजाबाद) लोकसभा क्षेत्र में देखा जा सकता है, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। अयोध्या, जो राम मंदिर विवाद के कारण राष्ट्रीय ध्यान का केंद्र रहा है, में भाजपा की हार यह दर्शाती है कि मतदाता अब धार्मिक भावनाओं से प्रेरित नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा, पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में आधी रह गई है।

नंदी ने यह भी उल्लेख किया कि 2014 और 2019 के चुनावों में, भाजपा को अकेले ही बहुमत मिला था, लेकिन इस बार के चुनाव में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “यह बदलाव दर्शाता है कि जनता अब एक दल के प्रभुत्व से थक गई है और वह विविधता तथा बहुलवाद को महत्व देती है।”

अंत में, यूनियन नेता ने देश की जनता को बधाई दी और कहा, “मैं भारत के नागरिकों की सराहना करता हूँ, जिन्होंने संविधान, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के पक्ष में अपनी राय दी है। यह मतदान केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि हमारे गणतांत्र की मजबूती और एकता के लिए एक जनादेश है।”

इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि भारत की जनता राजनीतिक दलों से अपेक्षा करती है कि वे विभाजनकारी रणनीतियों से दूर रहें और देश के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करें। यह एक ऐसे भारत की मांग है जो अपनी विविधता में एकता का उत्सव मनाता है और जहां सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान होता है। 

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