back to top
बुधवार, मार्च 12, 2025
होमआसपास-प्रदेशछत्तीसगढ़: शासकीय सेवकों की मांगों पर 27 सितंबर को होगा कलमबंद-कामबंद हड़ताल,...

छत्तीसगढ़: शासकीय सेवकों की मांगों पर 27 सितंबर को होगा कलमबंद-कामबंद हड़ताल, मोदी सरकार को वादे याद दिलाने की पहल!

कोरबा। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रदेश के शासकीय सेवकों के हित में 27 सितंबर को कलमबंद-कामबंद हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों की याद दिलाने और उन्हें पूरा करवाने के उद्देश्य से की जा रही है। फेडरेशन के सदस्यों ने कहा है कि मोदी सरकार ने चुनाव के दौरान जो वादे किए थे, उनमें से कई अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं।

फेडरेशन की मुख्य मांगें
1. केन्द्र के समान महंगाई भत्ता: फेडरेशन की प्रमुख मांग है कि केंद्र के समान देय तिथि से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता शासकीय सेवकों को दिया जाए।
2. लंबित एरियर्स का समायोजन: जुलाई 2019 से लंबित महंगाई भत्तों के एरियर्स को जीपीएफ खाते में समायोजित किया जाए।
3. अर्जित अवकाश नगदीकरण: मध्यप्रदेश की तर्ज पर 300 दिनों का अर्जित अवकाश नगद रूप में दिया जाए।

4. समयमान वेतनमान: चार स्तरीय समयमान वेतनमान की व्यवस्था लागू की जाए।
5. गृह भाड़ा भत्ता: केंद्र सरकार की तर्ज पर गृह भाड़ा भत्ते की स्वीकृति दी जाए।

इस हड़ताल की घोषणा के दौरान फेडरेशन के संयोजक के आर डहरिया, प्रवक्ता ओम प्रकाश बघेल, महासचिव तरुण राठौर और कोषाध्यक्ष राम कपूर कुर्रे समेत कई अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने प्रदेश के सभी शासकीय सेवकों से अपील की है कि वे इस हड़ताल में शामिल होकर अपनी एकजुटता और शक्ति का प्रदर्शन करें।

फेडरेशन द्वारा की जा रही यह हड़ताल शासकीय सेवकों की लंबित मांगों को लेकर है, जो उनके आर्थिक और कार्यस्थलीय स्थिति से संबंधित हैं। इन मांगों में महंगाई भत्ते की देय तिथि से लेकर गृह भाड़ा भत्ते तक की स्वीकृति शामिल है, जो कर्मचारियों के वेतन और जीवन स्तर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
एक जिम्मेदार सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह कर्मचारियों की इन मांगों को गंभीरता से ले और संवाद के माध्यम से समाधान निकालने का प्रयास करे। कर्मचारियों द्वारा हड़ताल का निर्णय तभी लिया जाता है जब उनके हितों की उपेक्षा की जाती है, जो इस स्थिति में स्पष्ट दिखाई दे रही है। इसके साथ ही, हड़ताल से प्रदेश के प्रशासनिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार को जल्द से जल्द इस विवाद का समाधान निकालने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
“सरकार के लिए यह भी आवश्यक है कि वह चुनावी वादों को याद रखे और उन्हें पूरा करने का प्रयास करे, ताकि कर्मचारियों का सरकार के प्रति विश्वास बना रहे। वहीं, कर्मचारियों को भी अपनी मांगों को शांतिपूर्ण और कानूनी तरीकों से उठाना चाहिए, ताकि समाज और प्रशासनिक व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।”

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments