कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों (PDS) के संचालक कम मात्रा में खाद्यान्न मिलने के कारण गंभीर आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। स्टॉक में कमी के चलते न केवल उनका वितरण प्रभावित हो रहा है, बल्कि खाद्य निरीक्षकों द्वारा स्टॉक जांच के दौरान आबंटन और वितरण में अंतर आने पर दंड का सामना करना पड़ रहा है।
कम तौल से बढ़ी समस्या
पीडीएस संचालकों ने अपनी समस्या की जांच की तो एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई। वेयरहाउस से धर्मकांटा में तौले गए चावल लदे ट्रकों को जब दूसरे धर्मकांटा में तौला गया, तो प्रति ट्रक 2 से 3 क्विंटल तक वजन कम पाया गया। यह स्पष्ट करता है कि बड़े पैमाने पर सरकारी अनाज की हेराफेरी की जा रही है।
इससे संचालकों को न केवल नुकसान हो रहा है, बल्कि उन्हें इसकी भरपाई भी खुद करनी पड़ रही है। शिकायत के बाद यह मामला जिला खाद्य अधिकारी और कलेक्टर कार्यालय (खाद्य शाखा) तक पहुंचा, जहां गंभीरता से जांच शुरू कर दी गई है।
जिला खाद्य अधिकारी को शिकायत
18 नवंबर 2024 को नगर निगम क्षेत्र कोरबा के समस्त पीडीएस संचालकों ने एक आवेदन के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के प्रदाय केंद्र से कोरबा के वेयरहाउस में धर्मकांटा पर अनाज का वजन जानबूझकर कम तौला जा रहा है। इसके कारण उचित मूल्य दुकानों को आबंटित खाद्यान्न में कमी आ रही है और इसका बोझ संचालकों पर पड़ रहा है।
जांच के आदेश जारी
शिकायत पर कलेक्टर कार्यालय ने विधिक माप विज्ञान विभाग के निरीक्षक को तत्काल जांच के निर्देश दिए। वेयरहाउस स्थित धर्मकांटा का भौतिक सत्यापन कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।
अनाज वितरण में पारदर्शिता की मांग
पीडीएस संचालकों ने स्पष्ट किया कि अगर इस गड़बड़ी को रोका नहीं गया तो गरीबों को मिलने वाले अनाज की आपूर्ति में भारी दिक्कतें आ सकती हैं। संचालकों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वेयरहाउस और धर्मकांटा के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
यह मामला केवल आर्थिक हानि का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और गरीबों के हक पर हो रहे अतिक्रमण का भी है। सरकार को चाहिए कि इस तरह की हेराफेरी के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर पीडीएस प्रणाली को मजबूत बनाए। साथ ही, वेयरहाउस और धर्मकांटा में तकनीकी सुधार और निगरानी सुनिश्चित हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गरीबों के लिए आरक्षित सरकारी योजनाओं का लाभ कहीं भ्रष्टाचार की भेंट तो नहीं चढ़ रहा? प्रशासन को जनता के विश्वास की रक्षा करते हुए सख्त कदम उठाने होंगे।
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