पटना (पब्लिक फोरम)। बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन द्वारा किसानों को अपराध से जोड़ने वाली विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीखा विरोध जताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एसकेएम ने इस बयान को किसानों का अपमान और एनडीए सरकार की औपनिवेशिक मानसिकता का उदाहरण करार दिया है।
गौरतलब है कि हाल ही में एडीजी कुंदन कृष्णन ने यह कहा था कि अप्रैल से जून के बीच, जब फसल कटाई का काम समाप्त हो जाता है और किसान “खाली” होते हैं, तब राज्य में आपराधिक घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस बयान को किसान समुदाय पर सीधा हमला मानते हुए एसकेएम ने इसे प्रशासन की विफलता छिपाने की एक साजिश बताया है।
22 जुलाई को राज्यभर में पुतला दहन का आह्वान
एसकेएम की बिहार राज्य समिति ने 22 जुलाई को राज्य के सभी जिला, अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एडीजी कुंदन कृष्णन का पुतला दहन करने का आह्वान किया है। संगठन ने एडीजी को तत्काल पद से हटाने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
कानून-व्यवस्था की विफलता पर गंभीर सवाल
एसकेएम ने बताया कि बीते 25 दिनों में बिहार में 51 हत्याएं हुई हैं, जिनमें से 14 राजधानी पटना में दर्ज की गई हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार अपराध पर नियंत्रण में नाकाम रही है। किसानों को अपराधी करार देना, प्रशासन की विफलता का दोष आम जनता पर मढ़ने का प्रयास है।
“औपनिवेशिक मानसिकता की वापसी”
एसकेएम ने पुलिस अधिकारी की टिप्पणी को औपनिवेशिक युग के 1871 के आपराधिक जनजाति अधिनियम से जोड़ते हुए कहा कि यह वही मानसिकता है, जिसके तहत ब्रिटिश शासन ने संथाल, गोंड और अन्य समुदायों को जन्मजात अपराधी घोषित किया था। संगठन ने इसे लोकतंत्र और संविधान की भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि जाति और पेशे के आधार पर अपराध का ठप्पा लगाना बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है।
मोदी-नीतीश की चुप्पी पर सवाल
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सवाल उठाए हैं कि वे इस विवादास्पद बयान पर अब तक चुप क्यों हैं। पीएम मोदी हाल ही में बिहार दौरे पर थे, बावजूद इसके उन्होंने किसानों के इस अपमानजनक वर्गीकरण पर एक शब्द नहीं कहा।
इतिहास दोहराने की साजिश?
एसकेएम ने आशंका जताई कि यह बयान किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसे दबाने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हो सकता है। संगठन ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार पहले भी कॉरपोरेटपरस्त कृषि कानूनों को थोप चुकी है, जिन्हें किसान आंदोलन ने ऐतिहासिक संघर्ष के बाद रद्द करवाया था।
भाजपा नेतृत्व से जवाब की मांग
एसकेएम ने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मांग की है कि वे बिहार पुलिस प्रशासन के इस अमर्यादित बयान पर पार्टी का रुख स्पष्ट करें और देश के किसानों को यह भरोसा दिलाएं कि उनके साथ न्याय होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा का यह विरोध न केवल एक विवादास्पद बयान के खिलाफ है, बल्कि यह देश में किसान समुदाय के सम्मान, आत्मसम्मान और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम है। आने वाले समय में यह आंदोलन बिहार में राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है।
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