फुलवारी शरीफ (पब्लिक फोरम)। पटना के फुलवारी शरीफ प्रखंड के कुरथौल में 26 जनवरी को एक नवनिर्मित स्कूल भवन के उद्घाटन और भारत के संविधान की उद्देशिका के शिलापट्ट के अनावरण का कार्यक्रम आयोजित था। फुलवारी के भाकपा-माले विधायक गोपाल रविदास को इस कार्यक्रम में शामिल होकर उद्घाटन करना था, लेकिन कुछ सामंती-अपराधी ताकतों ने उन्हें जबरन रोक दिया और जातिसूचक अपमान किया।
भाकपा-माले का आरोप है कि इस कृत्य को अंजाम देने वालों को भाजपा का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने इसे संविधान विरोधी और दलित विरोधी मानसिकता करार दिया है।
क्या है भाकपा-माले की मांग?
भाकपा-माले ने देशद्रोह और दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कर दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही, सरकार से यह गारंटी देने को कहा है कि विधायक गोपाल रविदास स्कूल भवन का उद्घाटन और शिलापट्ट का अनावरण कर सकें।
पटना में भाकपा-माले का विरोध मार्च
विधायक के साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ पटना में भाकपा-माले ने 29 जनवरी को एक आक्रोशपूर्ण विरोध मार्च निकाला। मार्च सुबह 9 बजे कंकड़बाग के अशोक नगर (रोड नंबर 11) मजदूर अड्डा से शुरू हुआ। यह फुलवारी विधानसभा के चांगर, अशोक नगर, रामलखन पथ, सोरंगपुर, पूर्वी और पश्चिमी रामकृष्णनगर से होकर गुजरा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने “दलित-गरीब हैं तैयार, अपमान का बदला लेकर रहेंगे”, “संविधान की रक्षा करो”, “दोषियों को गिरफ्तार करो” जैसे नारे लगाए।
मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले के वरिष्ठ नेताओं ने किया, जिनमें शामिल थे:-
अभ्युदय (केंद्रीय कमेटी सदस्य, पटना महानगर सचिव)
रणविजय कुमार (राज्य स्थाई समिति सदस्य, ऐक्टू राज्य सचिव) समता राय, शंभूनाथ मेहता, पन्नालाल सिंह, अनुराधा देवी, संजय कुमार, विनय कुमार, डॉ. प्रकाश सिंह, पुनीत पाठक आदि। इसके अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और स्थानीय लोग भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
रामकृष्ण नगर न्यू बाईपास मजदूर अड्डा पर हुई सभा में भाकपा-माले नेताओं ने भाजपा समर्थित सामंती-अपराधी ताकतों पर कड़ा प्रहार किया।
माले नेता अभ्युदय, रणविजय कुमार, शंभूनाथ मेहता, पन्नालाल सिंह ने कहा कि “दलित विधायक को यह कहकर उद्घाटन से रोका गया कि कोई दलित व्यक्ति उद्घाटन नहीं कर सकता।”
नेताओं ने इसे “भाजपा की संविधान विरोधी, दलित-विरोधी और मनुवादी मानसिकता का परिचायक” बताया।
उन्होंने सवाल उठाया कि “जब एक निर्वाचित दलित विधायक के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम दलितों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।” उन्होंने बिहार में लगातार बढ़ रही दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर चिंता जताई और कहा कि जनता भाजपा की इस “मनुवादी साजिश” को सफल नहीं होने देगी।
क्या होनी चाहिए सरकार की भूमिका?
भाकपा-माले ने सरकार से दो मुख्य मांगें रखी हैं:-
1. दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी और उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई।
2. विधायक गोपाल रविदास को सम्मानपूर्वक नवनिर्मित स्कूल भवन का उद्घाटन और संविधान की उद्देशिका के शिलापट्ट का अनावरण करने दिया जाए।
यह घटना सिर्फ एक विधायक के अपमान की नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज और संविधान पर हमले का मामला है। भाकपा-माले और आम लोग इसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार दोषियों पर क्या कार्रवाई करती है और क्या न्याय की जीत होती है या सामंती ताकतों का बोलबाला जारी रहता है।
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