कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (सीएसईबी) के कोरबा पूर्व स्थित आवासीय कॉलोनी में रहने वाले सैकड़ों परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। सीएसईबी प्रबंधन ने इन परिवारों को दो दिनों के अंदर मकान खाली करने का अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद से इलाके में हड़कंप मच गया है।
बरसात के बीच बेदखली का प्रयास
यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब पूरे प्रदेश में भारी बारिश हो रही है। ऐसे में बेघर होने का डर इन परिवारों के लिए और भी ज्यादा बढ़ गया है। सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए सीएसईबी के इस फैसले को अनुचित करार दिया है।
स्थायी समाधान की मांग
सांसद महंत ने कहा है कि सीएसईबी कर्मचारियों को बेदखल करने की बजाय, भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) की तर्ज पर स्थायी बसाहट की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा आवासों की मरम्मत करवाकर उनमें रहने वाले लोगों से किराया वसूलकर भी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
आवश्यक सुविधाओं का अभाव
सांसद ने यह भी ध्यान दिलाया कि सरकार की आवासीय योजनाओं का लाभ आज भी हजारों जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सीएसईबी के आवासों में रहने वाले इन परिवारों को बेदखल करने के बजाय, उनके लिए स्थायी समाधान ढूंढना ज़रूरी है।
जिला प्रशासन से अपील
सांसद महंत ने जिला प्रशासन से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने और फिलहाल बरसात के मौसम में किसी भी तरह की बेदखली या बिजली-पानी की सुविधा बंद करने पर रोक लगाने की अपील की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से कोरबा के व्यापार पर भी बुरा असर पड़ेगा।
यह मुद्दा कई सवालों को जन्म देता है!
0 क्या सीएसईबी प्रबंधन ने बेघर होने वाले परिवारों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की है?
0 क्या बारिश के मौसम में बेदखली करना उचित है?
0 क्या बीएसपी की तर्ज पर स्थायी बसाहट एक बेहतर समाधान होगा?
0 क्या सरकार आवासीय योजनाओं को सभी तक पहुंचाने में नाकाम रही है?
यह निश्चित रूप से एक जटिल मुद्दा है जिसके लिए त्वरित और स्थायी समाधान की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ में बारिश के बीच बेघर होने का खतरा! सीएसईबी कर्मचारियों को आशियाना छोड़ने का फरमान: सांसद ज्योत्सना ने उठाए सवाल
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