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गुरूवार, फ़रवरी 6, 2025
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फासीवाद से लड़ने के लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा -दीपंकर भट्टाचार्य

तंजवुर (तमिलनाडु) में फासीवाद-विरोधी कन्वेंशन

तमिलनाडु/तंजवुर (पब्लिक फोरम)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन की राज्य इकाई ने गत दिवस तंजवुर में ‘फासीवाद-विरोधी कन्वेंशन’ आयोजित किया। जिसमें तमिलनाडु के डेल्टा अंचल से हजारों पार्टी सदस्यों और समर्थकों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया।

कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के बतौर पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में भारत में फासीवाद की पिछले सौ वर्षों के इतिहास और विकास पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने आज के दौर में लोकतंत्र और संविधान पर फासीवाद के मंडराते खतरे को भी विस्तार से बताया।

कामरेड दीपंकर ने कहा कि केंद्र सरकार कानूनों में बदलाव लाकर राज्य सरकार के अधिकारों में तोड़मरोड़ कर रही है और इस प्रकार भारत के संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है। मोदी सरकार ने गैर-संवैधानिक तरीके से तीन कृषि कानून पारित करवा लिया। जबकि कृषि क्षेत्र पूरी तरह राज्य सूची के अंतर्गत आता है। मोदी सरकार राज्यों के अधिकारों का लगातार अतिक्रमण कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच की विभाजन रेखा को धुंधला कर रही है और राज्य के तमाम अंगों को कार्यपालिका के अधीन बना देने का हर संभव प्रयास कर रही है। यही वह परिस्थिति है जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ और मोहम्मद जुबैर जैसे कार्यकर्ताओं को जेल भेज कर दंडित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस भारत में फासीवाद के आगमन की घोषणा थी। आज हम फासीवाद को बर्बर सांप्रदायिक कारपोरेट और जाति हमलों के जरिए जीवन के हर क्षेत्र में घुसता देख रहे हैं। जब लोकतंत्र पर चौतरफा हमला हो रहा हो और फासीवादी ताकतें नफरत और विभाजनकारी राजनीति फैला रही हो तब सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए तथा झूठ के खिलाफ सच को बुलंद करने के लिए जमीनी स्तर पर प्रतिरोध विकसित करना होगा।

उन्होंने इस देश में भगत सिंह, अंबेडकर और पेरियार के अनुकरणीय विचारों और उनकी ऐतिहासिक भूमिकाओं पर चर्चा की और आज के समय में फासीवाद के विभिन्न पहलुओं से लड़ने में उनकी प्रासंगिकता पर रोशनी डाली उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे कारपोरेट-परस्त सांप्रदायिक फासीवाद के खिलाफ उठ खड़े हों और देश व संविधान को बचाने के लिए मोदी-नीत भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकें। साथ ही उन्होंने खासकर विपक्षी पार्टियों से भी आह्वान किया कि वे फासीवाद को शिकस्त देने की प्रक्रिया में एकजुट हो जाएं जो कि आज देश के सामने सर्वप्रमुख कर्तव्य है।

तमिलनाडु के पार्टी राज्य सचिव एनके नटराजन ने कन्वेंशन की अध्यक्षता की। कन्वेंशन में प्रमुख अतिथियों के बतौर विदुथलै चिरूथैकल कटची के अध्यक्ष कामरेड तिरुमावलावन, माकपा के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड यू. वासुकी, भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य कामरेड पेरियास्वामी, ग्रीन तमिलनाडु पार्टी के सुब्बा उदयकुमार और तनथै पेरियार द्रविडार कडगम के राज्य कार्यकारिणी सदस्य विदुथलै अरासु शामिल थे।

कामरेड तिरुमावलावन, जोकि संसद सदस्य भी हैं, ने भाकपा (माले) के द्वारा फासीवाद विरोधी कन्वेंशन की पहलकदमी की प्रशंसा करते हुए कहा कि अन्य कई संगठन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाए। उन्होंने फासीवाद के खिलाफ संघर्ष में अपनी पार्टी के समर्थन की घोषणा की। साथ ही उन्होंने 2024 के आम चुनाव में फासिस्ट मोदी सरकार को पराजित करने का आह्वान किया और यह भी चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह सरकार देश के लिए आफत खड़ी कर देगी।

कन्वेंशन के जरिए कई प्रस्ताव पारित किए गए और केंद्र की मोदी सरकार को अपदस्थ करने का आह्वान जारी किया गया। एक प्रस्ताव में वामपंथियों, अंबेडकर वादियों और एरियार वादियों के बीच कार्यवाही की एकजुटता विकसित करने की अपील की गई ताकि मोदी शासन को खत्म किया जा सके और जनता के प्रतिरोध संघर्षों को मजबूत बनाया जा सके।

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