back to top
होमआसपास-प्रदेशअंबिका परियोजना का विरोध जारी: ग्रामीणों के दबाव में प्रशासन, आचार संहिता...

अंबिका परियोजना का विरोध जारी: ग्रामीणों के दबाव में प्रशासन, आचार संहिता के बावजूद भूमि पूजन की कोशिश

कोरबा (पब्लिक फोरम)। पाली ब्लॉक के करतली पंचायत में प्रस्तावित अंबिका परियोजना के शुभारंभ को लेकर ग्रामीणों और प्रशासन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को खदान प्रारंभ करने की योजना के तहत प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इसका कड़ा विरोध किया।

इस दौरान प्रदेश में नगर निकाय और पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो चुकी है, जिसके तहत नए कार्यों, भूमि पूजन और उद्घाटनों पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद प्रशासन और प्रबंधन द्वारा भूमि पूजन की कोशिशें ग्रामीणों को आक्रोशित कर रही हैं।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें

ग्रामीणों का कहना है कि खदान का विरोध नहीं किया जा रहा, लेकिन मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान किए बिना खदान का शुभारंभ अस्वीकार्य है। ग्रामीणों ने अन्य खदान परियोजनाओं में भू-प्रभावित लोगों की बदतर स्थिति का हवाला देते हुए इन मांगों को प्राथमिकता देने की अपील की है।

प्रशासन और प्रबंधन का रुख

एसडीएम सीमा पात्रे, तहसीलदार सूर्यकांत, एसईसीएल अधिकारी बीके सिंह और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। हालांकि, ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे और विरोध जारी रखा। स्थिति तनावपूर्ण होने पर प्रशासनिक टीम को वापस लौटना पड़ा।

रात में भूमि पूजन का प्रयास

देर शाम, प्रशासन और प्रबंधन ने दोबारा भूमि पूजन का प्रयास किया, जिसकी भनक ग्रामीणों को लग गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचकर भूमि पूजन का विरोध करने लगे। उनका सवाल है कि रात के अंधेरे में भूमि पूजन जैसी प्रक्रिया में इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है?

तनावपूर्ण स्थिति बरकरार

समाचार लिखे जाने तक गांव में गतिरोध और तनाव का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे किसी भी कार्य को आगे बढ़ने नहीं देंगे।
अंबिका परियोजना के शुभारंभ को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच टकराव प्रदेश में विकास कार्यों और जनहित के बीच सामंजस्य की आवश्यकता को उजागर करता है। इस विवाद का समाधान तभी संभव होगा जब प्रशासन और प्रबंधन ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments