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नीति आयोग की बैठक पर विपक्ष का अलग-अलग रुख: ममता बनर्जी और कांग्रेस के फैसले का विश्लेषण

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। नीति आयोग की बैठक को लेकर विपक्षी दलों के बीच भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं। एक ओर जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर केंद्र द्वारा राज्यों के साथ किए गए भेदभाव को उठाने का मन बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन का निर्णय

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लेंगी। ममता ने दावा किया है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस बैठक में शामिल होंगे, हालांकि सोरेन की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हेमंत सोरेन ने अपने पिछले दिल्ली दौरे के दौरान कहा था कि वह बैठक में राज्य से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बैठक
दिल्ली में 27 जुलाई को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस बैठक में ‘विकसित भारत 2047’ दस्तावेज पर चर्चा होगी और मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी विचार किया जाएगा। बैठक में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और भूमि जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।

ममता बनर्जी की केंद्र पर नाराजगी
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर बजटीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें अपने राज्य के हक के लिए लड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मैं बैठक में शामिल होऊंगी और अगर हमें अपनी बात कहने का मौका मिलता है, तो हम इसे जरूर उठाएंगे।” ममता ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी का आरोप भी लगाया और कहा कि भाजपा बंगाल को बांटना चाहती है।

कांग्रेस का बहिष्कार
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इनमें केरल, पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इन दलों का कहना है कि नीति आयोग में राज्यों के मुद्दों पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता।

ममता बनर्जी की योजना आयोग को बहाल करने की मांग
ममता बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग को समाप्त कर योजना आयोग को बहाल किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, योजना आयोग के तहत राज्य सरकारों को अपने मुद्दों पर चर्चा करने का अधिकार था, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में राज्यों का ध्यान रखा जाता था। ममता ने कहा कि नीति आयोग के पास कोई शक्ति नहीं है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।

नीति आयोग की बैठक में उठने वाले मुद्दे और विपक्ष के अलग-अलग रुख से स्पष्ट होता है कि केंद्र और राज्यों के बीच का तनाव बढ़ता जा रहा है। जहां ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन जैसे नेता नीति आयोग की बैठक का उपयोग राज्यों के मुद्दों को उठाने के लिए करना चाहते हैं, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का बहिष्कार केंद्र के प्रति उनकी नाराजगी को दर्शाता है।
इस मुद्दे पर सभी पक्षों को संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि भारत के विकास के लिए एक समग्र और सामूहिक प्रयास किया जा सके।

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