कोरबा (पब्लिक फोरम)। नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 23 अप्रैल को होने वाली ‘स्टूडेंट्स फॉर वन नेशन वन इलेक्शन समिट’ में देशभर के विश्वविद्यालयों के युवा छात्र नेता एक मंच पर जुटेंगे। इस समिट में छत्तीसगढ़ के कोरबा से अजय कंवर भी हिस्सा लेने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। यह आयोजन ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार को गति देने और युवाओं की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर लाने का एक अनूठा प्रयास है।
युवा शक्ति का संगम, देश की दिशा तय करने की तैयारी
इस समिट में 35 वर्ष से कम उम्र के उन युवा नेताओं को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। छत्तीसगढ़ से 12 सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल इस आयोजन में हिस्सा लेगा, जिसमें कोरबा के अजय कंवर का नाम प्रमुख है। अजय, जो अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं, अपनी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
इस समिट में केंद्रीय मंत्री और नीति निर्माता ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार पर अपने सुझाव और दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे। यह मुद्दा, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख एजेंडे का हिस्सा है, देशभर में चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर इसके समर्थक इसे समय और संसाधनों की बचत का जरिया मानते हैं, वहीं विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बताता है।
अजय कंवर: कोरबा का गौरव, युवा नेतृत्व का प्रतीक
अजय कंवर का नाम कोरबा में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले अजय ने बस्तर जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में संगठन मंत्री के रूप में कार्य किया है। भैसमा कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष और सचिव के रूप में उनकी सक्रियता ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। वर्तमान में वे प्रदेश नीति अनुसंधान दल के सह-नायक के रूप में कार्यरत हैं।
अजय की पत्नी, श्रीमती सावित्री कंवर, भी कोरबा जिला पंचायत की सदस्य और वन विभाग की सभापति के रूप में समाज सेवा में सक्रिय हैं। यह दंपति कोरबा में सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है। अजय का इस समिट में शामिल होना न केवल कोरबा के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’: चर्चा और विवाद का केंद्र
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की अवधारणा पर आधारित है। समर्थकों का मानना है कि इससे चुनावी खर्च कम होगा, प्रशासनिक बोझ हल्का होगा और विकास कार्यों में निरंतरता आएगी। हालांकि, विपक्षी दल इसे देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा मानते हैं। उनका कहना है कि यह क्षेत्रीय मुद्दों को दरकिनार कर सकता है और छोटे दलों के लिए चुनौती बन सकता है।
इस समिट में युवा नेता इस मुद्दे पर गहन चर्चा करेंगे और अपने सुझाव साझा करेंगे। यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश के भविष्य के नेताओं को नीति निर्माण में भागीदार बनने का अवसर देता है।
कोरबा की उम्मीद, देश की नजर
अजय कंवर जैसे युवा नेताओं की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कोरबा जैसे छोटे शहर भी देश की नीति और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उनकी यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और समर्पण को दर्शाती है, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं।
जैसे-जैसे दिल्ली में यह समिट नजदीक आ रही है, कोरबा के लोग अजय के प्रदर्शन पर नजर रखे हुए हैं। यह आयोजन न केवल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार को गति देगा, बल्कि युवा नेतृत्व को देश के सामने लाने का एक मंच भी साबित होगा।
एक नई शुरुआत की ओर
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समिट न केवल एक नीतिगत चर्चा है, बल्कि यह युवाओं के सपनों, उनकी आवाज और उनके नेतृत्व को राष्ट्रीय मंच पर लाने का अवसर है। कोरबा का यह सपूत, अजय कंवर, इस मंच पर छत्तीसगढ़ की भावनाओं और विचारों को मजबूती से रखेगा। इस आयोजन का परिणाम चाहे जो हो, यह तो निश्चित है कि यह देश के युवाओं को एक नई दिशा देगा।
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