कोरबा (पब्लिक फोरम)। ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई, छत्तीसगढ़, ने लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2021 के फॉर्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए अलग से कोड नंबर 13 में एक विशिष्ट कोड निर्धारित करने और छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्यभर में रैली निकालने की घोषणा की है। इसी क्रम में, कोरबा जिले में 29 सितंबर को शाम 4 बजे एक मसाल रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसके बाद जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
रैली का उद्देश्य और ओबीसी महासभा की मांगें
ओबीसी महासभा के कोरबा जिला अध्यक्ष नकुल कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय जनगणना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए तो कोड नंबर निर्धारित है, लेकिन ओबीसी के लिए ऐसा कोई कोड नहीं होने के कारण उनकी गणना नहीं होती। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित काका कालेलकर आयोग, मंडल आयोग और मध्य प्रदेश राम जी महाजन आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि इन आयोगों ने ओबीसी की अलग से गणना करने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है।
नकुल कुमार ने बताया कि 2011 की जनगणना में ओबीसी की गणना करने का प्रयास तो किया गया था, लेकिन आज तक इसके आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए। उन्होंने मांग की कि लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2021 के फॉर्मेट में कॉलम नंबर 13 में ओबीसी के लिए कोड नंबर 3 और सामान्य वर्ग के लिए कोड नंबर 4 शामिल किया जाए और जनगणना शीघ्र कराई जाए, ताकि इन आंकड़ों के आधार पर ओबीसी समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुपात में अधिकार मिल सके।
ओबीसी प्रोटेक्शन बिल की आवश्यकता
उन्होंने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ होने वाली मारपीट, प्रताड़ना, हत्या, शोषण और भेदभाव जैसी घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। नकुल कुमार ने कहा कि ओबीसी प्रोटेक्शन बिल पारित कर न्यायिक सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि इन घटनाओं पर रोक लग सके। इसके साथ ही, उन्होंने हाल ही में कवर्धा और राजधानी रायपुर में हुई घटनाओं में मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की।
इस मुद्दे को कानून और सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो ओबीसी समुदाय की मांगें वाजिब हैं। संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत ओबीसी के अधिकारों की रक्षा और उनकी वास्तविक स्थिति को समझना आवश्यक है। हालांकि, सरकार को भी इस पर त्वरित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि समाज में समावेशिता और समानता बनी रहे। ओबीसी आरक्षण और उनकी गणना को सुनिश्चित करना न केवल सामाजिक न्याय का मुद्दा है, बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी मजबूत बनाता है।सरकार को ओबीसी समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए। इस संदर्भ में जनगणना के फॉर्मेट में बदलाव और प्रोटेक्शन बिल जैसे उपाय न सिर्फ इन समुदायों को न्याय दिलाएंगे, बल्कि समाज में आपसी सद्भावना और विश्वास को भी बढ़ावा देंगे।
सरकार को ओबीसी समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए। इस संदर्भ में जनगणना के फॉर्मेट में बदलाव और प्रोटेक्शन बिल जैसे उपाय न सिर्फ इन समुदायों को न्याय दिलाएंगे, बल्कि समाज में आपसी सद्भावना और विश्वास को भी बढ़ावा देंगे।
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