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मंगलवार, जून 17, 2025
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कोरबा में आदिवासी किसान पर अब छेड़छाड़ का FIR दर्ज: मामला उलझा, गरमाई राजनीति!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के बांकीमोगरा थाना परिसर में आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर के साथ हुई मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद जहां मामला पहले से ही तूल पकड़ रहा था, वहीं अब भाजपा नेत्री के द्वारा छेड़छाड़ के एक नए आरोप ने पूरे घटनाक्रम को और जटिल बना दिया है। इस प्रकरण में पुलिस ने भाजपा नेत्री की शिकायत पर बलवंत सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है, जिससे राजनीतिक तापमान और भी बढ़ गया है।

प्रारंभिक घटना: वायरल वीडियो से उपजा विवाद
कुछ दिन पहले आदिवासी किसान बलवंत सिंह के साथ बांकीमोगरा थाना परिसर में मारपीट की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में कथित तौर पर भाजपा नेत्री और उनके साथियों द्वारा बलवंत सिंह से हाथापाई की जा रही थी। इस वीडियो के सामने आने के बाद आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया।
आदिवासी संगठनों ने इस घटना को आदिवासी अस्मिता और न्याय का सवाल बताते हुए एससी/एसटी (एट्रॉसिटी) एक्ट के तहत मामला दर्ज करने और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।

नया मोड़: भाजपा नेत्री ने अब दर्ज कराई छेड़छाड़ की शिकायत
इसी बीच, भाजपा नेत्री ने 9 जून को बांकीमोगरा थाना प्रभारी को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए बलवंत सिंह पर छेड़छाड़ और अभद्र व्यवहार का गंभीर आरोप लगाया।
शिकायत में कहा गया है कि दिनांक 7 जून 2025 की शाम करीब 5 बजे जब वह अपने घर से कोरबा जा रही थीं, तभी गजरा मार्ग पर बलवंत सिंह कंवर ने उन्हें अकेला पाकर शारीरिक छेड़छाड़, हाथ पकड़ने और गाली-गलौच करते हुए जबरदस्ती करने की कोशिश की।

भाजपा नेत्री के अनुसार, उनकी चीख-पुकार सुनकर आसपास के 5–7 लोग मौके पर पहुंचे और बलवंत सिंह कंवर को पकड़कर थाने लेकर आए।

पुलिस की कार्रवाई: दोनों पक्षों पर दर्ज हुए प्रकरण
भाजपा नेत्री की शिकायत के आधार पर 9 जून की शाम 7:25 बजे बांकीमोगरा थाने में बलवंत सिंह के खिलाफ अपराध क्रमांक 0117 के तहत धारा 126(2), 74, 79, 296 बीएनएस के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है।

वहीं दूसरी ओर, आदिवासी संगठनों और विपक्षी दलों का आरोप है कि यह शिकायत दबाव डालकर और राजनीतिक उद्देश्य से की गई है ताकि मूल घटना से ध्यान भटकाया जा सके। कांग्रेस नेताओं ने इस मामले को सत्ता के दुरुपयोग से जोड़ते हुए भाजपा पर निशाना साधा है।

सामाजिक और राजनीतिक असर
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल कोरबा जिले में बल्कि राज्यभर में भाजपा के प्रति आदिवासी समाज की नाराजगी को जन्म दे दिया है।
आदिवासी महासभा, आदिनिवासी गण परिषद, सर्व आदिवासी समाज और विभिन्न संगठनों ने न्याय की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
उधर, भाजपा का कहना है कि पार्टी नेत्री के साथ हुई अभद्रता किसी भी दृष्टि से स्वीकार्य नहीं है और कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए।

निष्पक्ष जांच की मांग
इस मामले में दो विपरीत शिकायतें सामने आने के कारण स्थिति और उलझ गई है।
समाजसेवी संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि घटना की निष्पक्ष, निष्कलंक और पारदर्शी जांच की जाए ताकि किसी निर्दोष को न फंसाया जाए और असली दोषी को सजा मिले।

इस मामले में जहां एक ओर आदिवासी समाज इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने-अपने नजरिए से भुनाने में लगे हैं।
अब सबकी नजरें पुलिस जांच और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि न्याय सच में अब किसके पक्ष में खड़ा होता है।

इस संवेदनशील मामले में न्यायिक प्रक्रिया और निष्पक्ष जांच ही सत्य को सामने लाने का एकमात्र रास्ता है।

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