सोमवार, जुलाई 7, 2025
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अमित शाह का 25 मिनट का भाषण: महंगाई, बेरोजगारी और कटघोरा पर कोई चर्चा नहीं!

छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा पर साधा निशाना

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र के ग्राम पसान में एकत्रित जनसमूह को संबोधित किया। एक ओर जहां कटघोरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनावी रैली आयोजित कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर पसान में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत कांग्रेस उम्मीदवार ज्योत्सना महंत के लिए प्रचार अभियान चला रहे थे।
अपने प्रचार के दौरान डॉ. महंत ने अमित शाह की रैली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने अपने लगभग 25 मिनट के भाषण में कटघोरा का नाम तक नहीं लिया। अमित शाह ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों और मजदूरों के मुद्दों का उल्लेख तक नहीं किया। वे केवल धर्म और जाति के विषयों पर बोलते रहे। उन्होंने अपना 25 वर्षों का एजेंडा जनता पर थोपा और चले गए। उन्होंने आरक्षण का मुद्दा उठाया लेकिन राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर दलित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित तक नहीं किया।

जहां अमित शाह ने 20 करोड़ गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का झूठा दावा किया, वहीं 80 करोड़ गरीबों को मिलने वाले मुफ्त चावल की कटौती के बारे में कुछ नहीं बोला। उन्होंने कोरोना वैक्सीन की प्रशंसा की लेकिन यह नहीं बताया कि वैक्सीन कंपनियों को कितना चंदा दिया गया। इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर भी वे चुप्पी साधे रहे। ये लोग 19 वर्ष की आयु के युवा जवानों को ही सेवानिवृत्त कर रहे हैं। डॉ. महंत ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री कटघोरा आकर भी पास के हसदेव अरण्य क्षेत्र में लाखों पेड़ों की कटाई के मामले में खामोश रहे।

उन्होंने आगे कहा कि सरोज पांडेय बार-बार गांवों में आती रही हैं और बड़े झूठ बोलकर यह कहा कि झूठ बोलो, बार-बार बोलो, जोर से बोलो। उन्होंने 400 सीटें जीतने का नारा इसलिए दिया क्योंकि वे आरक्षण समाप्त करना चाहते हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी पूरी रैली में न तो 15 लाख रुपये देने के वादे का, न विदेशों से काला धन लाने की बात का, न गैस सिलेंडर 500 रुपये में देने का और न ही किसानों के कर्ज माफ करने का उल्लेख किया। डॉ. महंत ने कहा कि भाजपा के नेता इस चुनाव में डरे हुए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी जमीन खिसक रही है। इसलिए वे लच्छेदार भाषणों में जनहित के मुद्दों, जनता की आवश्यकताओं और उनकी आवाज को दबा रहे हैं।

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