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शनिवार, अप्रैल 19, 2025
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कोरबा के बेला गांव में सुशासन की नई पहल: बालको थाना टीम ने ग्रामीणों से की खुली चर्चा, नशा मुक्ति पर दिया खास जोर!

कोरबा/बेला (पब्लिक फोरम)।
सुशासन त्योहार के अंतर्गत ग्राम पंचायत बेला, वार्ड क्रमांक 1 (स्कूलपारा) में एक भावनात्मक, संवेदनशील और जनहित से जुड़ी महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में बालको थाना के टीआई अभिनवकांत सिंह एवं उनकी टीम ने ग्रामीणों के साथ संवाद कर गांव की प्रमुख समस्याओं को समझने और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया।

गांव की आवाज़ को मिली नई ताक़त

बैठक में बड़ी संख्या में ग्रामीण – महिलाएं, बुजुर्ग, युवक और समाजसेवी शामिल हुए। प्रमुख ग्रामीणों में रामसिंह कंवर, नैहर सिंह कंवर, पंचराम कंवर, श्यामलाल कंवर, अमृत सिंह कंवर, मालकीन बाई कंवर (मितानिन), मेला बाई साहू (मितानिन) उपस्थित रहीं। यह बैठक न केवल एक संवाद था, बल्कि गांव के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक भावनात्मक और भरोसेमंद प्रयास भी था।

नशा मुक्त गांव की दिशा में प्रेरणादायक पहल

टीआई अभिनवकांत सिंह ने गांव में अवैध रूप से बन रही कच्ची शराब और उसके सेवन पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने ग्रामीणों को स्पष्ट रूप से समझाया कि शराब न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि परिवार, समाज और पूरे गांव के विकास में भी बड़ी बाधा बनती है।

उन्होंने भावुक अपील करते हुए कहा –
“हमारे युवा आज नशे की गिरफ्त में हैं। अगर आज हमने उन्हें रोका नहीं, तो आने वाली पीढ़ी बर्बादी की कगार पर पहुंच सकती है। हमें मिलकर गांव को नशा मुक्त बनाना होगा।”

जन-जन की भागीदारी से बनेगा सशक्त समाज

टीआई और उनकी टीम ने भरोसा दिलाया कि गांव में किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान में प्रशासन और पुलिस पूरी तरह से साथ खड़ी रहेगी। विकास विभाग से जुड़े मुद्दों पर जल्द कार्रवाई होगी ताकि गांव की जनता को समय पर सहायता मिल सके।

महिलाओं की सक्रिय भागीदारी

बैठक में विशेष रूप से माताओं और बहनों की उपस्थिति ने यह साफ किया कि गांव की महिलाएं अब सामाजिक बदलाव की धुरी बनना चाहती हैं। उन्होंने भी एक स्वर में गांव को नशा मुक्त करने का समर्थन किया और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए आगे आने का संकल्प लिया।

यह बैठक केवल समस्याओं की पहचान नहीं थी, बल्कि समाधान की दिशा में एक सशक्त, भावनात्मक और प्रेरणादायक कदम भी थी। बेला गांव में सुशासन की यह कोशिश दर्शाती है कि जब प्रशासन और जनता एक मंच पर आकर संवाद करते हैं, तो बदलाव संभव होता है।

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