नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। भारत की राजधानी और गोवा में हाल ही में लागू हुए नए आपराधिक कानून के तहत स्ट्रीट वेंडरों के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह कानून, जिसे सरकार ने अपराध नियंत्रण का हथियार बताया था, अब गरीब व्यापारियों की रोजी-रोटी पर संकट बनता दिख रहा है।
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) ने एक वक्तव्य में बताया कि 1 जुलाई, 2024 को लागू हुई नई भारतीय न्याय संहिता का पहला शिकार दिल्ली का एक साधारण रेहड़ी वाला बना है। पंकज कुमार नाम के इस व्यक्ति पर केवल इसलिए मुकदमा दर्ज किया गया क्योंकि वह अपनी आजीविका चलाने के लिए रेहड़ी लगा रहा था। इसी प्रकार, गोवा में नारियल बेचकर गुजारा करने वाले निसार बल्लारी पर भी पुलिस ने कार्रवाई की है।
यह ध्यान देने योग्य है कि स्ट्रीट वेंडिंग को 2014 के एक कानून के तहत वैध माना गया था। इस कानून का उद्देश्य था गरीब व्यापारियों को सम्मान के साथ जीने और काम करने का अधिकार देना। लेकिन नए आपराधिक कानून ने इस अधिकार पर ही प्रहार किया है।
AICCTU के प्रवक्ता ने कहा, “यह नया कानून असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। इसका पहला शिकार एक गरीब रेहड़ी वाला बना है, जो साफ दर्शाता है कि यह कानून किस तरह मेहनतकश वर्ग के खिलाफ है।”
उन्होंने आगे कहा, “अदालतों ने बार-बार कहा है कि स्ट्रीट वेंडर्स ‘अवैध’ नहीं हैं। वे हमारी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लेकिन यह नया कानून उन्हें फिर से अपराधी बना रहा है।”
नए कानून में जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। पहले जहां 200 रुपये का जुर्माना था, वहीं अब यह बढ़कर 5,000 रुपये हो गया है। यह राशि एक साधारण रेहड़ी वाले के लिए बहुत ज्यादा है।
AICCTU ने मांग की है कि पंकज कुमार और निसार बल्लारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तुरंत वापस ली जाए। साथ ही, उन्होंने इस नए आपराधिक कानून को भी वापस लेने की मांग की है।
यह विडंबना ही कही जाएगी कि जिस देश में करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करते हैं, वहां गरीबों की आजीविका पर ही प्रहार किया जा रहा है। क्या यही है विकास का नया मॉडल? क्या इसी तरह बनेगा ‘नया भारत’? ये सवाल आज हर भारतीय के मन में उठ रहे हैं।
नए आपराधिक कानून: गरीब स्ट्रीट वेंडरों की आजीविका पर कुठाराघात – ऐक्टू
RELATED ARTICLES
Recent Comments