हजारीबाग (पब्लिक फोरम)। झारखंड में कोयला खनन क्षेत्र में एक और बड़ी परियोजना की शुरुआत होने वाली है। हजारीबाग के गोंदुलपारा क्षेत्र में नई कोयला खदान खोलने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही झारखंड में कुल कोयला खदानों की संख्या 200 तक पहुंच जाएगी। इस खदान के शुरू होने से न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
रैयतों को मिलेगा प्रति एकड़ 24.56 लाख रूपए का मुआवजा
गोंदुलपारा खनन परियोजना के तहत, सेक्शन 19 लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जो खनन कार्य शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके तहत, प्रभावित रैयतों को प्रति एकड़ भूमि के लिए ₹24,56,986 मुआवजा दिया जाएगा। इससे उन किसानों को राहत मिलेगी जिनकी जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाएगी। मुआवजे में भूमि पर स्थित परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कर, उसके दोगुने मूल्य का भी भुगतान किया जाएगा।
राज्य को मिलेगा सालाना 500 करोड़ रूपए का राजस्व
इस कोयला खदान से राज्य सरकार को हर वर्ष करीब 500 करोड़ का राजस्व मिलने की संभावना है। इस राजस्व का उपयोग राज्य सरकार विभिन्न लाभकारी और कल्याणकारी योजनाओं में करेगी। इसके साथ ही परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए चंदौल गांव में 161.99 एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी किया जाएगा। इसके लिए पहले से ही ₹478 करोड़ की राशि जिला समाहरणालय में जमा कर दी गई है, ताकि प्रभावित रैयतों को समय पर मुआवजा मिल सके।
किन क्षेत्रों में होगा भूमि अधिग्रहण?
गोंदुलपारा खनन परियोजना के अंतर्गत बड़कागांव के बलोदर, गोंदुलपारा और गाली गांवों में भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। इनमें क्रमशः 91.35 एकड़, 285.715 एकड़ और 175.45 एकड़ भूमि शामिल हैं। इस भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को सरकार द्वारा उचित मुआवजा देने की प्रक्रिया तय की गई है।
प्रभावित परिवारों को मिलेंगे तीन विकल्प
खदान परियोजना से प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के लिए तीन विकल्प दिए जाएंगे।
1. पहला विकल्प: प्रत्येक परिवार को ₹10 लाख की राशि दी जाएगी, ताकि वे अपनी पसंद के अनुसार कहीं और बस सकें।
2. दूसरा विकल्प: प्रभावित परिवारों को पुनर्वास कॉलोनी में बना-बनाया मकान मिलेगा।
3. तीसरा विकल्प: पुनर्वास कॉलोनी में एक प्लॉट आवंटित होगा और घर बनाने के लिए ₹7 लाख की राशि भी दी जाएगी।
रोजगार के अवसर और अन्य सुविधाएं
इस कोयला खदान से विस्थापित होने वाले परिवारों के एक सदस्य को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके लिए प्रशासन और प्रभावित परिवारों के बीच परामर्श के बाद उनकी योग्यता और खनन कंपनी की आवश्यकता के अनुसार नौकरी का प्रावधान किया जाएगा। रोजगार के बदले परिवार एकमुश्त ₹5 लाख या 20 साल तक ₹2,000 प्रतिमाह की पेंशन का चयन कर सकते हैं।
जीवन-यापन और पुनर्वास के लिए अनुदान
विस्थापित परिवारों को एक वर्ष तक हर महीने ₹3,000 जीवन-यापन अनुदान के रूप में मिलेगा। साथ ही, पुनर्वास के दौरान ₹50,000 पुनर्वास भत्ता, ₹50,000 परिवहन भत्ता और पशुबाड़ा बनाने के लिए ₹35,000 की राशि भी दी जाएगी। इस तरह हर परिवार को कुल ₹1,45,000 की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
विशेष प्रावधान और अन्य लाभ
प्रभावित परिवारों के लिए आवंटित जमीन या मकान का निबंधन शुल्क और अन्य शुल्क खनन कंपनी द्वारा वहन किया जाएगा। यह आवंटित मकान पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर होगा, और उस भूमि पर कोई कर नहीं लगेगा। इसके अलावा, छोटे व्यवसायियों, कारीगरों और स्वरोजगारी परिवारों को ₹25,000 की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इस खदान परियोजना से राज्य के राजस्व और रोजगार में वृद्धि के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर भी विचार करना जरूरी है। परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है कि प्रभावित परिवारों को उनके अधिकारों और लाभों की पूरी जानकारी दी जाए। इसके साथ ही, पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरितता होनी चाहिए, ताकि प्रभावित परिवारों को कोई असुविधा न हो। खदान के खुलने से पर्यावरण पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए उचित पर्यावरण संरक्षण के उपाय किए जाने चाहिए।
आर्थिक लाभों के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना ही इस परियोजना की सफलता का वास्तविक पैमाना होगा।
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