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कोरबा में 11 अप्रैल को होगा देशव्यापी मूलनिवासी मेला: ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब की जयंती पर खास संगोष्ठी, समाज की समस्याओं पर होगी गहरी चर्चा!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक ऐतिहासिक और भावनात्मक आयोजन की तैयारी जोरों पर है। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्र निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की संयुक्त जयंती के मौके पर 11 अप्रैल 2025 को सियान सदन में सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक “राष्ट्रव्यापी मूलनिवासी मेला” आयोजित किया जाएगा। यह मेला न सिर्फ सामाजिक एकता का प्रतीक होगा, बल्कि मूलनिवासी समाज की समस्याओं और उनके समाधान पर गहन विचार-मंथन का मंच भी बनेगा। इस आयोजन में कोरबा सहित पूरे छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों के नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे, जो इसे एक व्यापक और प्रभावशाली मंच बनाएंगे।

सबसे बड़ा आकर्षण: संगोष्ठी में समाज की समस्याओं पर चर्चा
इस मेले का मुख्य आकर्षण होगा एक खास संगोष्ठी, जिसका विषय है- “राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले की दृष्टि में मूलनिवासी समाज की समस्याएं और उनका समाधान”। यह संगोष्ठी समाज के सामने मौजूद चुनौतियों को समझने और उनके हल के लिए रास्ते तलाशने का प्रयास करेगी। बामसेफ कोरबा के अध्यक्ष प्रवीण पालिया के मार्गदर्शन में होने वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तारेश सुरतावन (प्रदेश अध्यक्ष, मूलनिवासी संघ छत्तीसगढ़) करेंगे। वहीं, ए.के. कुरनाल (कोषाध्यक्ष, बामसेफ) प्रस्तावना पेश करेंगे और कार्यक्रम का संचालन प्रदीप बंदे (महासचिव, मूलनिवासी संघ कोरबा) के जिम्मे होगा।

दिग्गज वक्ताओं का जमावड़ा
इस संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के विभिन्न सामाजिक संगठनों के दिग्गज नेता अपनी बात रखेंगे। जिनमें आर.एस. मार्को (संरक्षक, आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा), आर.पी. खाण्डे (राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिष्टा), यू.आर. महिलांगे (अध्यक्ष, सतनामी कल्याण समिति कोरबा), निर्मल सिंह राज (उपाध्यक्ष, आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा), और गोपाल ऋषिकर भारती (राष्ट्रीय अध्यक्ष, मूलनिवासी मुक्तिमोर्चा) जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा राजा यादव (संयोजक, यादव एकता मंच छ.ग.), गणेश कुलदीप (अध्यक्ष, अधिवक्ता संघ कोरबा), सिस्टर ज्ञानी (आशीषी चेतना सोसायटी), और दिलीप बंजारे (अध्यक्ष, भीम आर्मी कोरबा) भी अपने विचार साझा करेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ताओं में गिरधारी लाल साहू, अनिरुद्ध चन्द्रा, राकेश पटेल, सोहित यादव, और ललित कुमार कैवर्त जैसे लोग भी इस मंच पर समाज के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे। कुल मिलाकर 30 से ज्यादा वक्ता इस आयोजन में शिरकत करेंगे, जो इसे एक व्यापक और प्रभावी मंच बनाएंगे।

क्यों खास है यह आयोजन?
यह मेला सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि मूलनिवासी समाज के दर्द, उनकी आकांक्षाओं और उनके संघर्ष की कहानी को बयां करने का मंच है। ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब अंबेडकर ने अपने जीवन में समाज के शोषित और वंचित वर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए जो लड़ाई लड़ी, यह आयोजन उसी मिशन को आगे बढ़ाने की कोशिश है। कोरबा के सियान सदन में होने वाला यह मेला हर उस इंसान के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो समाज में बदलाव की उम्मीद रखता है।

भावनात्मक अपील: एकता और जागरूकता का संदेश
यह आयोजन केवल चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा। यह समाज के हर तबके को एकजुट करने और जागरूक करने का प्रयास है। यह उन लोगों की आवाज बनेगा, जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है। यह मेला हर उस शख्स को जोड़ेगा, जो अपने हक के लिए लड़ना चाहता है और समाज में बराबरी का सपना देखता है। यह एक ऐसा मौका है, जहां लोग न सिर्फ अपनी बात रख सकेंगे, बल्कि दूसरों के दर्द को भी समझ सकेंगे।

तथ्यों पर आधारित और विश्वसनीय
इस आयोजन की तैयारियां पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से की जा रही हैं। बामसेफ और मूलनिवासी संघ जैसे संगठनों की मौजूदगी इसे विश्वसनीयता प्रदान करती है। यह मेला कोरबा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा, जहां समाज के हर वर्ग के लोग एक मंच पर आएंगे और अपने भविष्य के लिए रास्ता तय करेंगे।

आप भी बनिए इस बदलाव का हिस्सा
11 अप्रैल 2025 को कोरबा का सियान सदन एक ऐतिहासिक पल का गवाह बनेगा। यह मेला न सिर्फ ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब अंबेडकर के सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा, बल्कि समाज के हर इंसान के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। तो आइए, इस बदलाव का हिस्सा बनें, अपनी आवाज उठाएं और एक बेहतर समाधान की नींव रखें। यह मेला सिर्फ एक आयोजन ही नहीं, बल्कि एक भावना है, एक उम्मीद है, और एक नई शुरुआत है।

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