शनिवार, सितम्बर 13, 2025
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों की हड़ताल: ‘ऐक्टू’ ने दिया समर्थन, सरकार पर उपेक्षा का आरोप

रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 16,000 से अधिक कर्मचारी बीते 18 अगस्त से अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल को ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) छत्तीसगढ़ का समर्थन मिला है। ऐक्टू ने कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा करने और उनके आंदोलन को दबाने की कोशिशों पर राज्य की भाजपा सरकार के प्रति गहरा रोष व्यक्त किया है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगों में नियमितीकरण, वेतन विसंगति को दूर करना, पहले से घोषित 27% वेतन वृद्धि लागू करना और समान काम के लिए समान वेतन देना शामिल है।

सरकार पर अनदेखी और दमन का आरोप
ऐक्टू का कहना है कि सरकार इन कर्मचारियों की मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है, जिसका सीधा असर राज्य के गरीब लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। एनएचएम के कर्मचारी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं, और उनकी हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

ऐक्टू ने सरकार द्वारा आंदोलनकारी कर्मचारियों के 27 नेताओं की बर्खास्तगी और अन्य दमनकारी कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष भीमराव बागड़े और राज्य महासचिव बृजेंद्र तिवारी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि सरकार कर्मचारियों के आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो कि सरासर गलत है। उन्होंने कर्मचारियों के लंबे समय से चले आ रहे इस संघर्ष की सराहना की है।

बर्खास्तगी रद्द करने और मांगों को पूरा करने की मांग
ऐक्टू ने छत्तीसगढ़ सरकार से तत्काल एनएचएम कर्मचारियों की जायज मांगों को पूरा करने की अपील की है। इसके साथ ही, संगठन ने बर्खास्त किए गए 27 कर्मचारी नेताओं की बर्खास्तगी को तुरंत रद्द करने की भी मांग की है। ऐक्टू का मानना है कि कर्मचारियों की मांगों को पूरा करके ही राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाया जा सकता है। यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक सरकार कर्मचारियों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती।

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