मुख्यमंत्री साय की दूरदर्शी नीति तथा वित्त मंत्री चौधरी की पहल से इस अभियान को मिली गति
रायगढ़(पब्लिक फोरम) । जल संरक्षण एवं सामुदायिक भागीदारी के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलधियां हासिल कर छत्तीसगढ़ के 12 जिलों ने राष्ट्रीय स्तर पर नया इतिहास रचा है। इनमें रायगढ़ जिला भी शामिल है। जिन्होंने जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता का नया मानक स्थापित करते हुए देशभर में केटेगरी-3 में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में छठवें राष्ट्रीय जल पुरुस्कार एवं जल संचय जन भागीदारी 1.0 अवार्ड समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रायगढ़ जिले को सम्मानित किया। यह पुरस्कार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर.पाटिल के हाथों जिला प्रशासन को सौंपा गया। जिले की ओर से यह सम्मान जिले में जल संरक्षण को गति देने के लिए किए गए सतत प्रयास, तकनीकी नवाचार और जनभागीदारी आधारित कार्यों ने रायगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी नीति तथा प्रदेश के वित्तमंत्री श्री ओ.पी.चौधरी की पहल ने इस अभियान को दिशा और गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस उपलब्धि के लिए वित्त मंत्री ने रायगढ़ जिले के नागरिकों और जिला प्रशासन को अपनी शुभकामनाएं दी है। कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी ने इस उपलब्धि को पूरे जिले के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में रायगढ़ ने न केवल अपनी कार्य क्षमता सिद्ध की है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायी मॉडल प्रस्तुत किया है। उन्होंने आगे भी इसी ऊर्जा और समर्पण से कार्य जारी रखने के लिए टीम को प्रोत्साहित किया। विज्ञान भवन नई दिल्ली में छठवें राष्ट्रीय जल पुरुस्कार एवं जल संचय जन भागीदारी 1.0 अवार्ड समारोह में यह पुरुस्कार जिला प्रशासन की ओर से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अभिजीत बबन पठारे ने प्राप्त किया।
कैसे बदला जल संरक्षण का परिदृश्य
जिले में जल संरक्षण हेतु किए गए संगठित एवं बहुआयामी प्रयासों ने न केवल भू-जल स्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि पारंपरिक एवं नए जल स्रोतों के संरक्षण को भी नई दिशा दी है। जिले में 2000 से अधिक तालाबों का गहरीकरण एवं मरम्मत, 102 अमृत सरोवरों का निर्माण, चेकडैम, स्टॉपडैम, पर्कुलेशन टैंक तथा अन्य जल संरचनाओं का विस्तार-इन सभी कार्यों ने वर्षा जल के प्रभावी संचयन और पुनर्भरण क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। पहाड़ी तथा मैदानी क्षेत्रों में वैज्ञानिक योजना पर आधारित जल रोकथाम कार्यों के परिणाम स्वरूप कई स्थानों पर सूख चुके जल स्रोत पुनर्जीवित हुए हैं तथा अधिकांश क्षेत्रों में जल स्तर में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। इससे खेती-किसानी की सिंचाई क्षमता भी सुदृढ़ हुई है।
मनरेगा एवं विभिन्न विभागों के समन्वित सहयोग से जल संरक्षण को एक योजनाबद्ध रूप दिया गया। मैदानी क्षेत्रों में तालाब, डबरियां, कुएँ, पर्कुलेशन टैंक तथा खेत-तालाबों का निर्माण और गहरीकरण कर जल संचयन को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया गया। लगभग 14,000 सोख्ता गड्ढों का निर्माण कर भू-जल पुनर्भरण को सशक्त बनाया गया। मनरेगा एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से 2,000 से अधिक तालाबों का खुदाई एवं गहरीकरण और लगभग 1,500 डबरियों के निर्माण ने जल संग्रहण क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया। केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए जल संचय जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत जिले में वर्षा जल एवं घरेलू जल के संरक्षण से जुड़े लगभग 20,000 कार्य पूर्ण किए गए, जिससे जल संरक्षण को एक सामुदायिक एवं जन-सहभागिता आधारित स्वरूप मिला।
देश को चार जोन में विभाजित कर जल शक्ति विभाग की टीम ने रायगढ़ जिले का निरीक्षण किया और 60 प्रतिशत कार्यों के परीक्षण के उपरांत संतोष व्यक्त किया। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले को कैटेगरी-3 में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। जिले की इस उपलब्धि को सम्मानित करते हुए केंद्र सरकार ने 25 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की घोषणा की। इन सभी प्रयासों ने जल संरक्षण आंदोलन को गति प्रदान की है और जिले को सतत् जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक प्रेरक मॉडल के रूप में स्थापित किया है।





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