कोंडागांव/बस्तर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ ज़मीन विवाद और धार्मिक असहिष्णुता के चलते एक ईसाई आदिवासी महिला पर उसके ही परिवार के सदस्यों ने कुल्हाड़ी, फावड़े और डंडों से बेरहमी से हमला कर दिया। इतना ही नहीं, हमलावरों ने उसकी 22 वर्षीय बेटी के साथ छेड़छाड़ का भी प्रयास किया। घटना 15 जुलाई 2025 को धनोरा थाना क्षेत्र के कोहड़ापारा, चनियागाँव में हुई।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी चिंताराम दुग्गा और उसके तीन बेटों मुकेश, सुरेश और लोकेश ने उक्त महिला और उसकी तीन बेटियों – (22, 20 और 14 वर्षीय) पर उस समय हमला किया जब वे खेत में काम कर रही थीं। हमलावरों ने महिला को तब तक पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गई और फिर उसे मरा हुआ समझकर खेत में धान के भूसे के नीचे छिपा दिया।
इसी दौरान, हमलावर उसकी 22 वर्षीय बेटी को पास के एक कमरे में घसीट ले गए और उसके कपड़े फाड़कर उससे छेड़छाड़ करने की कोशिश की। किसी तरह वह वहां से बचकर जंगल की ओर भाग निकली, लेकिन इस दौरान उसके हाथ और कंधे में गंभीर चोटें आईं, जिससे वह अपना हाथ हिला भी नहीं पा रही है। उसकी अन्य दो बहनें भी हमले में घायल हुईं और जंगल में छिपकर अपनी जान बचाई।
घायल बेटियों ने किसी तरह अपने शुभचिंतकों से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें बचाया और पुलिस स्टेशन ले गए। पीड़ितों ने पुलिस को बताया कि उनकी माँ को मार दिया गया है और भूसे के नीचे छिपा दिया गया है, और बड़ी बहन के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया गया है।
सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत गांव पहुंची और महिला को गंभीर हालत में भूसे के ढेर के नीचे से जीवित बरामद किया। उसे तत्काल कोंडागांव जिला अस्पताल ले जाया गया, और हालत गंभीर होने पर रायपुर के डॉ. बी.आर. अंबेडकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया। गंभीर रूप से जख्मी बड़ी बेटी का इलाज भी सरकारी अस्पताल में चल रहा है।
मुख्य आरोपी चिंताराम दुग्गा के एक बेटे ने बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और अपना जुर्म कबूल कर लिया। धनोरा पुलिस स्टेशन में एफ आई आर संख्या 0013/15.07.2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2), 87, 70(1), 115(2), 351(3), 109(1) और 3(5) के तहत दर्ज कर चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
धर्मांतरण और ज़मीनी विवाद बना नफ़रत का कारण
यह दर्दनाक हिंसा केवल ज़मीन विवाद का परिणाम नहीं है, बल्कि ईसाई धर्म के प्रति गहरी नफ़रत से भी प्रेरित है। यह मामला परिवार के दो भाइयों के बीच ज़मीन को लेकर शुरू हुआ था, जिसमें 2007 में बड़े भाई की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद, सुमित्रा (परिवर्तित नाम) को ज़मीन में उसका हक़ नहीं मिला। 2017 में जब सुमित्रा ने ईसाई धर्म अपना लिया, तो तनाव और बढ़ गया। आरोपी चिंताराम दुग्गा कथित तौर पर कहता था कि जब तक वह ईसाई धर्म नहीं छोड़ देती, तब तक उसे ज़मीन पर कोई हक़ नहीं मिलेगा।
महिला ने अपने बच्चों की लंबी बीमारी से तंग आकर ईसाई धर्म अपनाया था। डॉक्टरों और पारंपरिक उपचारों के असफल होने के बाद, उन्होंने बच्चों को प्रार्थना के लिए चर्च ले गईं, जहाँ वे ठीक हो गए। इस अनुभव के बाद, महिला और उसकी दोनों बेटियों ने ईसाई धर्म अपना लिया।
गांव में तनाव का माहौल, पादरी को भी बनाया निशाना
घटना के बाद से खोहाड़ापारा गांव और आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल है। हाल ही में ग्रामीणों की एक बैठक हुई, जिसमें स्थानीय पादरी हेमंत कंधापन पर शारीरिक हमला करने, उन्हें परिवार सहित गांव से निकालने और सामाजिक बहिष्कार करने की धमकी दी गई। ग्रामीणों का आरोप है कि पादरी ने ही पीड़ित परिवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने और कानूनी मदद लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
सूत्रों के अनुसार, आस-पास के गांवों के प्रतिनिधियों ने कोंडागांव के पुलिस अधीक्षक से मिलकर गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग की है और प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं।
पीड़ितों को तत्काल सहायता की आवश्यकता
इस घटना के पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता, कानूनी मदद, मानसिक परामर्श, भोजन और बुनियादी राहत की आवश्यकता है। मांग की गई है कि इस मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच हो, पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान की जाए, धार्मिक असहिष्णुता के पहलू की जांच हो और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही, प्रभावित परिवार को उनके कानूनी हक़ और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक सहायता दी जाए।
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