गुरूवार, दिसम्बर 12, 2024
होमआसपास-प्रदेशबीजापुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की हत्या: नक्सली गतिविधियों का साया फिर गहराया 

बीजापुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की हत्या: नक्सली गतिविधियों का साया फिर गहराया 

बीजापुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के तिम्मापुर गांव में शुक्रवार रात एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियार से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मी पद्दम की निर्मम हत्या कर दी। घटना के दौरान बीच-बचाव करने आए उनके बेटे को भी हमलावरों ने निशाना बनाने की कोशिश की। इस घटना ने न केवल गांव बल्कि पूरे क्षेत्र में भय और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। 

शुक्रवार रात करीब 8 बजे, जब लक्ष्मी पद्दम अपने घर पर थीं, तभी अज्ञात हमलावरों ने अचानक घर में घुसकर उन्हें बाहर खींच लिया और धारदार हथियार से वार कर दिया। लक्ष्मी के बेटे ने अपनी मां को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उसके साथ भी हाथापाई की। 
घटना स्थल, जो CPRF कैंप से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, ने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लक्ष्मी पद्दम को नक्सलियों द्वारा पहले भी धमकियां मिल चुकी थीं, और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह हमला नक्सलियों द्वारा ही किया गया है। हालांकि, अभी तक आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है। 

कौन थी लक्ष्मी पद्दम और क्यों बनीं निशाना?

लक्ष्मी पद्दम गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं और अपने कार्य को लेकर क्षेत्र में एक सक्रिय महिला के रूप में जानी जाती थीं। उनकी हत्या ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या यह घटना नक्सलियों की तरफ से किसी पूर्व नियोजित रणनीति का हिस्सा थी, या इसके पीछे कोई और कारण है। 

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया है और जांच शुरू कर दी गई है। इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन अभी तक हमलावरों का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस के अनुसार, यह जांच का विषय है कि लक्ष्मी को पहले धमकियों के बावजूद सुरक्षा क्यों नहीं प्रदान की गई। 

इलाके में डर और दहशत का माहौल

इस हत्या ने तिम्मापुर गांव और उसके आसपास के क्षेत्र में भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीण डरे हुए हैं और नक्सली गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। यह घटना एक बार फिर से सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनकर सामने आई है। 

इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी बताया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की जान और सुरक्षा कितनी असुरक्षित है। लक्ष्मी जैसी सामाजिक कार्यकर्ताओं को धमकियों के बावजूद पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं मिलती, यह एक बड़ा सवाल है। 

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस घटना को गंभीरता से लें और न केवल हमलावरों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें, बल्कि क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ करें। साथ ही, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। 
यह हृदयविदारक घटना उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। अब समय है कि सरकार और प्रशासन ठोस कदम उठाएं ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments