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कोरबा में चिकित्सकीय लापरवाही: अंजली सिंह की मौत के बाद सड़कों पर उतरे हजारों लोग, न्याय की मांग

प्रसव के दौरान लापरवाही से हुई मौत पर भड़का जनाक्रोश

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में एक और चिकित्सकीय लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को हिला दिया है। श्वेता हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान गंभीर लापरवाही के कारण अंजली सिंह की मौत हो गई है। इस घटना के बाद मंगलवार को हजारों की संख्या में लोग न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए।

मामले की गंभीरता: एक मां का सपना अधूरा
यह घटना 1 जून की है जब अंजली सिंह के पति ने अपनी गर्भवती पत्नी को कोरबा रिस्दी स्थित श्वेता हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। डॉक्टर मनीआरो कुजुर की देखरेख में ऑपरेशन हुआ, लेकिन जो हुआ वह किसी भी परिवार का सबसे बुरा सपना था।

ऑपरेशन के बाद अंजली को अत्यधिक रक्तस्राव होने लगा। सबसे दुखद बात यह थी कि रात के समय न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही कोई अनुभवी नर्सिंग स्टाफ। एक जिंदगी को बचाने के लिए जिस तत्परता और विशेषज्ञता की जरूरत थी, वह उपलब्ध नहीं थी।

परिवार का दर्द: आर्थिक शोषण से बढ़ा दुख
समय पर इलाज न मिलने से अंजली की हालत गंभीर होती गई। जब स्थिति संभालने से बाहर हो गई, तब उन्हें न्यू कोरबा हॉस्पिटल में रेफर किया गया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

परिजनों का आरोप है कि न्यू कोरबा हॉस्पिटल ने कुछ घंटों के इलाज के नाम पर 1 लाख रुपए वसूल लिए, जबकि महिला की स्थिति पहले से ही अत्यंत गंभीर थी। डॉक्टरों ने परिवार से सच्चाई छिपाई और अंततः अंजली की मौत हो गई।

जनाक्रोश का विस्फोट: सड़कों पर उतरे हजारों लोग
मंगलवार को कोसाबाड़ी चौक हनुमान मंदिर के समीप हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। प्रदर्शनकारियों में नागरिक, सामाजिक संगठनों के सदस्य और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे। सभी का एक ही नारा था – “अंजली को न्याय दिलाओ”।

प्रदर्शनकारियों ने पदयात्रा निकालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। पुलिस बल भी मौके पर तैनात था, लेकिन प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण रहा।

न्याय की स्पष्ट मांगें
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:-

तत्काल कार्रवाई की मांग:
– डॉक्टर मनीआरो कुजुर को तत्काल निलंबित किया जाए
– उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए
– श्वेता हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त कर उसे तत्काल बंद कराया जाए

निष्पक्ष जांच की मांग:
– पूरे मामले की जांच कोरबा से बाहर के अधिकारियों की टीम से कराई जाए
– पोस्टमार्टम जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कराई जाए
– न्यू कोरबा हॉस्पिटल पर भी आर्थिक शोषण और लापरवाही के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए

चेतावनी: 10 दिन का अल्टीमेटम
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है। यदि 10 दिनों के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरे जिले में बड़ा जनआंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

व्यापक सवाल: स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर चिंता
यह मामला केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह निजी अस्पतालों की जवाबदेही और चिकित्सकीय नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

मुख्य चिंताएं:
– निजी अस्पतालों में योग्य स्टाफ की अनुपलब्धता
– आपातकालीन स्थितियों में लापरवाही
– मरीजों के साथ आर्थिक शोषण
– चिकित्सकीय नैतिकता का हनन

अंजली सिंह की मौत ने न केवल एक परिवार को तोड़ा है, बल्कि पूरे समुदाय को झकझोर दिया है। लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है कि हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “आज अंजली के साथ हुआ है, कल किसी और के साथ हो सकता है। हमें इस व्यवस्था को बदलना होगा।”

आगे की राह: न्याय की उम्मीद
अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और राज्य सरकार की कार्रवाई पर टिकी हैं। लोगों की उम्मीद है कि इस बार न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यह मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। क्या प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा और उचित कार्रवाई करेगा, यह समय बताएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है – अंजली सिंह की मौत व्यर्थ नहीं जानी चाहिए, और इससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का रास्ता खुलना चाहिए।

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