गुरूवार, सितम्बर 19, 2024
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कोरबा में मीडिया की स्वतंत्रता पर संकट: भाजपा द्वारा डिजिटल मीडिया एसोसिएशन का अधिग्रहण

छत्तीसगढ़/कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के स्थानीय पत्रकारिता जगत में हलचल मच गई है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कथित तौर पर कोरबा के प्रमुख डिजिटल मीडिया एसोसिएशन पर नियंत्रण कर लिया है। यह घटना लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद हुई है, जिसने मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

संगठन का उदय और गिरावट
कोरबा जिले में कई पत्रकार संगठन सक्रिय हैं, जिनमें प्रेस क्लब कोरबा और हाल ही में स्थापित डिजिटल मीडिया एसोसिएशन प्रमुख हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही, डिजिटल मीडिया एसोसिएशन ने जनसेवा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समाचार कवरेज के माध्यम से स्थानीय समुदाय में अपनी पहचान बनाई थी। ‘मां तुझे सलाम’ जैसे भव्य सांस्कृतिक आयोजनों ने संगठन को पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिलाया था।

राजनीतिक हस्तक्षेप
लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे की हार के बाद, पार्टी के स्थानीय नेतृत्व ने अपनी हार का ठीकरा डिजिटल मीडिया एसोसिएशन पर फोड़ा। इसके परिणामस्वरूप, संगठन पर कब्जा करने की कोशिश की गई। मौजूदा कमेटी को दबावपूर्वक भंग कर दिया गया और नए चुनाव कराए गए, जिसमें भाजपा समर्थक पदाधिकारियों की नई टीम का गठन किया गया।

पदाधिकारियों का इस्तीफा
इस राजनीतिक दखल के विरोध में, संगठन के कई वरिष्ठ सदस्यों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इनमें पूर्व अध्यक्ष राजेश मिश्रा, सचिव जितेंद्र सिंह राजपूत, और कोषाध्यक्ष कुश कुमार शर्मा आदि शामिल हैं। हालांकि, उक्त घटनाक्रम के कारणों के संबंध में वे मौन हैं।

प्रतिक्रियाएं और चिंताएं
एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य बी.एल. नेताम ने इस घटना को प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा, “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसे किसी भी राजनीतिक दल के दबाव में नहीं आना चाहिए। मीडिया संगठन के पदाधिकारियों को मजबूर कर इस्तीफा दिलवाना न केवल कोरबा जिले के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक शर्मनाक घटना है।”

भविष्य की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, भाजपा अब अपनी नवगठित मीडिया टीम के माध्यम से आगामी नगरीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने की योजना बना रही है। यह कदम लोकसभा चुनाव में हुई हार की भरपाई के लिए उठाया गया प्रतीत होता है।

यह घटनाक्रम कोरबा जिले में मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपनी नई मीडिया रणनीति के सहारे चुनावी सफलता हासिल कर पाएगी, और इसका स्थानीय पत्रकारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मीडिया की स्वायत्तता बनाए रखना लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इस मुद्दे पर समाज के सभी वर्गों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

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