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शुक्रवार, फ़रवरी 7, 2025
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08 मार्च: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के मायने

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन की शुरुआत का सन 1908 में हुई। उस समय न्यूयॉर्क शहर में 15 हजार से अधिक महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन जुलूस निकाला था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पहली बार अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर 28 फरवरी 1909 में मनाया गया। इसके बाद 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। तत्पश्चात अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में मनाया गया।

1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश के तौर पर घोषित किया था और रूस की महिलाओं ने “ब्रेड एंड पीस” (खाना और शांति) की मांग को लेकर 1917 में हड़ताल की। जिसके फलस्वरूप रूस में महिलाओं को वोट का अधिकार प्राप्त हुआ। उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर के अनुसार 23 फरवरी का दिन था और ग्रेगोरियन कैलेंडर में इस दिन 08 मार्च था। इसके बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च को मनाया जाने लगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की थीम है- डिजिटआल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी (DigiTal: Innovation and Technology for Gender Equality)। इस थीम के पीछे यह विचार है: लैंगिक समानता प्राप्त करने और सभी महिलाओं तथा लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए डिजिटल युग में नवाचार और तकनीकी परिवर्तन और शिक्षा।

भारतीय संविधान में महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं

👤 संपत्ति का अधिकार

👤समान वेतन का अधिकार

👤 गुजारा भत्ता का अधिकार

👤 उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार

👤नाम न छापने का अधिकार

👤 कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार

👤 घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

👤मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार

👤मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार

👤रात में गिरफ्तार ना होने का अधिकार।

लेकिन, सिर्फ एक दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना लेने से महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं आ जाएगा और न ही उनका विकास हो पाएगा।जरूरी है कि हर दिन, हर पल, हर परिस्थिति और हर क्षेत्र में उनका सम्मान किया जाए। यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष और हमेशा पुरुष प्रधान समाज को यह याद दिलाता है कि इंसानी जिंदगी की आधी जमीन के हकदार उन महिलाओं को अपनी जिंदगी में कितना सम्मान दिया है और दुनिया के कामकाजी क्षेत्रों में उनके उत्थान और विकास के लिए आपने क्या-क्या कदम उठाए हैं।

महिलाओं का सम्मान करें

सिर्फ 08 मार्च को ही नहीं बल्कि हर दिन। तभी सही मायनों में समझा जा सकेगा कि महिलाओं को समाज में उचित स्थान दिया जा रहा है। अपने घर से ही शुरुआत करें। अपनी माताओं बहनों को सम्मान और स्नेह दें। पुरुष प्रधान समाज की मानसिक जंजीरों से महिलाओं को न जकड़ें। उनका भी अपना एक अस्तित्व है। हमारे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां महिलाओं की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।महिलाओं को समाज में पुरुषों की तुलना में कम आंका जाता है। महिलाओं को उचित सम्मान और अधिकार के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग का गठन किया गया है। लेकिन, हम केवल उस विभाग के भरोसे नहीं रह सकते। बल्कि हमें जरूरत है खुद से शुरुआत करने की।

– पुष्पलता सिंह

(लेखिका ‘कामकाजी महिला फोरम’ की संयोजक मंडल सदस्य एवं अल्युमिनियम कामगार संघ-ऐक्टू’ के महासचिव हैं)

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