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शुक्रवार, सितम्बर 12, 2025
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कोरबा मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी: पूर्व कलेक्टरों और तबादला हुए अधिकारियों के नाम अब भी शामिल, लोकतंत्र पर उठे गंभीर सवाल

पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा की मतदाता सूची में गंभीर त्रुटियों का किया पर्दाफाश

🔹जिस बंगले में वर्तमान कलेक्टर रहते हैं, उसी पते पर चार पूर्व कलेक्टरों के नाम मतदाता के रूप में दर्ज।

🔹दर्जनों सेवानिवृत्त और स्थानांतरित अधिकारियों तथा वर्षों पहले जिला छोड़ चुके नागरिकों के नाम भी सूची में मौजूद।

🔹अग्रवाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पूरे प्रदेश में मतदाता सूचियों की निष्पक्ष जांच की मांग की।

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मतदाता सूची में एक ऐसी हैरान करने वाली गड़बड़ी सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने दस्तावेजों के साथ यह खुलासा किया है कि कोरबा की मतदाता सूची में वर्षों पहले तबादला हो चुके चार पूर्व कलेक्टरों समेत कई अधिकारियों के नाम अब भी दर्ज हैं। यह मामला लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाली चुनावी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सीधी चोट करता है।

एक पता, कई पूर्व कलेक्टर मतदाता
मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोसाबाड़ी वार्ड क्रमांक 36 के डिंगापुर मतदान केंद्र की सूची में जिन चार पूर्व कलेक्टरों के नाम दर्ज हैं, उन सभी का पता एक ही है – आवास क्रमांक सी-2। यह वही बंगला है जिसमें वर्तमान कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत बसंत रहते हैं। अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों के अनुसार, मतदाता सूची में पूर्व कलेक्टर रानू साहू (मतदाता क्रमांक 453), मोहम्मद कैसर अब्दुल हक (क्रमांक 454), किरण कौशल (क्रमांक 455) और सौरभ कुमार (क्रमांक 548) के नाम आज भी मौजूद हैं।

इन अधिकारियों का तबादला काफी पहले हो चुका है। मोहम्मद कैसर हक का स्थानांतरण 6 फरवरी 2019, किरण कौशल का 7 जून 2021, रानू साहू का 1 जुलाई 2022 और सौरभ कुमार का 4 जनवरी 2024 को हुआ था। विडंबना यह है कि इसी त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची का उपयोग हाल के नगरीय निकाय चुनावों में किया गया, जिसे वर्तमान जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत बसंत के नेतृत्व में ही संपन्न कराया गया। अग्रवाल ने सवाल उठाया कि जब जिला निर्वाचन अधिकारी अपने ही आवास के पते पर मौजूद त्रुटियों को नहीं सुधार सके, तो पूरे जिले की मतदाता सूची की सटीकता पर कैसे विश्वास किया जा सकता है?

गड़बड़ियों की लंबी फेहरिस्त
यह समस्या सिर्फ पूर्व कलेक्टरों तक ही सीमित नहीं है। पूर्व मंत्री ने बताया कि कई अन्य अधिकारी जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या जिनका तबादला हो गया है, उनके नाम भी सूची से नहीं हटाए गए हैं। इनमें तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर रुचि शार्दुल, अपर कलेक्टर प्रियंका महोबिया, और कोषालय अधिकारी गौरीशंकर जागृति शामिल हैं, जिनके नाम सरकारी आवासों के पते पर दर्ज हैं।

इसी तरह, वर्ष 2022 में सेवानिवृत्त हो चुके डिप्टी कलेक्टर बी.एस. मरकाम और सेवानिवृत्त जिला खाद्य अधिकारी एच. मसीह का नाम भी मतदाता सूची में बना हुआ है। अधिकारियों के अलावा, कई ऐसे परिवार भी हैं जो वर्षों पहले कोरबा छोड़कर बिलासपुर जैसे अन्य जिलों में बस चुके हैं, लेकिन उनके नाम अभी भी डिंगापुर मतदान केंद्र की सूची में हैं। इसका एक उदाहरण रौनक ठाकुर और रोशनी ठाकुर का परिवार है, जो पिछले पांच साल से बिलासपुर में रह रहा है।

लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर संकट
जयसिंह अग्रवाल ने इस स्थिति को लोकतंत्र और चुनाव व्यवस्था पर एक गंभीर हमला बताया है। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि जिन पूर्व कलेक्टरों के नाम कोरबा की सूची में हैं, संभवतः उन्होंने अपने नए पदस्थापना वाले जिलों में भी अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा लिया होगा। इसके अलावा, सूची में सैकड़ों मतदाताओं के नाम दो बार दर्ज होने और कई मृत व्यक्तियों के नाम शामिल होने की भी आशंका जताई गई है।

अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि यह केवल एक मतदान केंद्र की कहानी है, जिसमें मात्र 910 मतदाता हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे कोरबा नगर निगम के 67 वार्डों और प्रदेश के अन्य हिस्सों की मतदाता सूचियों में कितनी बड़ी संख्या में गड़बड़ियां हो सकती हैं।

इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए, श्री अग्रवाल ने भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि निर्वाचन विभाग पर जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि पूरे जिले, और संभव हो तो पूरे प्रदेश की मतदाता सूचियों की निष्पक्षता से जांच कराई जाए, ताकि भविष्य में होने वाले चुनाव किसी भी तरह के संदेह से परे और पूरी तरह पारदर्शी हों।

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