कोरबा (पब्लिक फोरम)। मानव सेवा मिशन ने आने वाली भीषण गर्मी को देखते हुए बेजुबान पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने का बीड़ा उठाया और 30 पानी के पात्र बांटे हैं। ये पात्र बालको नगर के अलग-अलग इलाकों में लोगों की सहमति से रखे गए, ताकि समय-समय पर इन्हें पानी से भरा जा सके और पशु-पक्षियों को राहत मिल सके। गर्मी के दिनों में जब इंसान भी घर से निकलने में हिचकता है, तब इन मासूम प्राणियों का पानी के लिए दर-दर भटकना कितना तकलीफदेह होता है। इसी संवेदना को समझते हुए मानव सेवा मिशन हर साल यह नेक पहल करता है।
गर्मी में बेजुबानों की मदद का संकल्प
मानव सेवा मिशन की यह पहल कोई नई बात नहीं है। हर साल यह संस्था मौसम के हिसाब से जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आती है। ठंड में कंबल, स्कूली बच्चों के लिए स्वेटर, बरसात में छतरियां, पहाड़ी कोरवा परिवारों के लिए छत ढकने को प्लास्टिक, सब्जी-भाजी के बीज, फलदार पौधों का रोपण, गर्मी में पानी के पात्र और बच्चों के लिए जूते-चप्पल का वितरण—ये सारे कार्य इस संस्था के मानवता के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं। इतना ही नहीं, वृद्धाश्रम, कुष्ठ आश्रम और जिला चिकित्सालय में भोजन व अन्य सहायता भी पूरे साल चलती रहती है। इस साल बालको नगर में 30 पानी के पात्र रखे गए, जो बेजुबानों के लिए एक छोटी सी उम्मीद की किरण बनकर आए हैं।

एक टीम, जो बन गई परिवार
मानव सेवा मिशन की यह मुहिम सिर्फ एक संगठन की कहानी नहीं, बल्कि एक परिवार की भावना है। इसमें बालको संयंत्र के कर्मचारी, अधिकारी और आसपास के सेवाभावी लोग शामिल हैं। पांच साल पहले शुरू हुई यह संस्था आज एक मिसाल बन चुकी है। लोग अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह या अपनों की याद में निस्वार्थ भाव से आर्थिक मदद करते हैं। यह सहयोग जरूरतमंदों तक पहुंचता है और उनकी जिंदगी में खुशहाली लाता है। इस बार के आयोजन में केशव चन्द्रा, राजेश धीवर, संजय विजयवर्गीय, सत्यम सोनी, लिलेश्वर शर्मा, मनोज सिंह, शैलेन्द्र जायसवाल, पीतम लाल सोमनकर, वीरेन्द्र जायसवाल जैसी शख्सियतों के साथ महिला सदस्य माधुरी चन्द्रा, मेघा सोनी, सुषमा सिंह, दीप्ति जायसवाल, रेणुका धीवर, विधी विजयवर्गीय और कई बच्चे भी शामिल हुए।

क्यों खास है यह पहल?
गर्मी का मौसम बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए सबसे मुश्किल होता है। पानी की तलाश में वे दूर-दूर तक भटकते हैं, कई बार तो उनकी जान पर बन आती है। ऐसे में मानव सेवा मिशन का यह कदम न सिर्फ उनकी प्यास बुझाता है, बल्कि इंसानियत का एक संदेश भी देता है। ये पात्र सिर्फ मिट्टी के बर्तन नहीं, बल्कि उन मासूम जानवरों के लिए जीवन रेखा हैं, जो अपनी बात कह भी नहीं सकते। संस्था का यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के हर जीव की देखभाल हमारी जिम्मेदारी है।
मानव सेवा मिशन का यह कार्य केवल सेवा नहीं, बल्कि एक भावना है—उन बेजुबानों के प्रति संवेदना, जो हमारी तरह अपनी जरूरतें बयां नहीं कर सकते। यह पहल हमें सोचने पर मजबूर करती है कि अगर हम एक छोटा सा कदम उठाएं, तो कितने जीवों की जिंदगी आसान हो सकती है। यह कहानी सिर्फ पानी के पात्रों की नहीं, बल्कि मानवता के उस जज्बे की है, जो हर मौसम में जरूरतमंदों के साथ खड़ा रहता है।
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