कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट जैसे संगीन मामलों के चार विचाराधीन कैदी दिनदहाड़े 25 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गए। इस घटना ने जेल प्रशासन से लेकर जिला पुलिस महकमे तक में हड़कंप मचा दिया है। फरार हुए सभी आरोपी युवा हैं और उन्हें अलग-अलग थाना क्षेत्रों से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।पुलिस ने पूरे जिले में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और फरार कैदियों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।
सुरक्षा में सेंध: मवेशी की आड़ और अंधेरे का फायदा उठाकर भागे कैदी
यह सनसनीखेज घटना शनिवार दोपहर लगभग 3 से 4 बजे के बीच घटित हुई। प्रारम्भिक जानकारी के अनुसार, जेल की सुरक्षा में एक बड़ी और सुनियोजित सेंध लगाई गई। बताया जा रहा है कि घटना के वक्त जेल में बिजली गुल थी, जिसका फायदा उठाकर कैदियों ने अपनी योजना को अंजाम दिया।
फरार कैदियों की पहचान चंद्रशेखर राठिया (निवासी घरघोड़ा, रायगढ़), दशरथ सिदार (निवासी पोड़ी-बहार), राज कंवर (निवासी भूलसीडीह) और सरना भीकू (निवासी लालघाट, बालको) के रूप में हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कैदियों को जेल परिसर के भीतर बीमार मवेशियों की देखभाल का काम सौंपा गया था। इसी काम की आड़ में उन्होंने जेल की पिछली दीवार के पास पहुंचने का मौका पाया और कथित तौर पर एक रस्सी के सहारे 25 फीट ऊंची दीवार को फांदकर भाग निकले। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि उन्होंने गाय के दफन का बहाना बनाकर दीवार तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की। जब तक जेल प्रहरियों और प्रबंधन को इस दुस्साहसिक फरारी की भनक लगती, तब तक चारों कैदी उनकी पहुंच से बहुत दूर जा चुके थे।
पुलिस और प्रशासन की तेज कार्रवाई जांच और तलाशी अभियान जारी
एक साथ चार कैदियों के भागने की खबर मिलते ही जेल के अंदर और बाहर हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन ने आनन-फानन में जिला पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिनमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और नगर पुलिस अधीक्षक शामिल थे, तुरंत मौके पर पहुंचे। मामले की गंभीरता को देखते हुए एक फॉरेंसिक टीम को भी जांच के लिए बुलाया गया है।
पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिले की सीमाओं पर नाकेबंदी कर दी है और सभी शहरी और उप-नगरीय थाना-चौकियों को फरार कैदियों की तस्वीरें और विवरण भेजकर तलाशी अभियान तेज करने का निर्देश दिया है। पुलिस टीमें फरार कैदियों के संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही हैं और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है, ताकि उनके भागने की दिशा और तरीके के बारे में सुराग मिल सके।
उठते सवाल: जेल की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न
इस घटना ने कोरबा जिला जेल की सुरक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। यह सवाल उठना लाजिमी है कि संगीन अपराधों के आरोपियों को जेल की बाहरी दीवार के इतने करीब काम करने की अनुमति क्यों दी गई? बिजली कटौती के दौरान वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था क्या थी? और सबसे बढ़कर, कैदी जेल के अंदर रस्सी जैसी वस्तु हासिल करने में कैसे कामयाब रहे?
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है, बल्कि इसने आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मन में भी भय पैदा कर दिया है, क्योंकि फरार हुए सभी कैदी बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों जैसे गंभीर मामलों में आरोपी हैं। प्रशासन के लिए अब चुनौती न केवल इन फरार कैदियों को जल्द से जल्द पकड़ना है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जेल सुरक्षा की एक-एक परत की गहन समीक्षा कर उसे अभेद्य बनाना भी है। इस मामले में जांच के बाद उच्च स्तरीय समिति गठित होने और जेल अधिकारियों पर गाज गिरने की भी संभावना है।
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