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सोमवार, अक्टूबर 13, 2025
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महाराष्ट्र में निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की 72 घंटे की महा-हड़ताल: केंद्र और राज्य के ट्रेड यूनियनों का मिला पूरा समर्थन, एक लाख कर्मचारी मैदान में

मुंबई (पब्लिक फोरम)। महाराष्ट्र के बिजली क्षेत्र के निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ कर्मचारियों, अभियंताओं (इंजीनियरों), और अधिकारियों ने 72 घंटे की राज्यव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। महाराष्ट्र विद्युत क्षेत्र संयुक्त कार्रवाई समिति के आह्वान पर राज्य की तीनों सरकारी बिजली कंपनियों—उत्पादन, प्रसारण और वितरण—के लगभग एक लाख कर्मचारी 9 से 11 अक्टूबर 2025 तक काम बंद रखेंगे। इस हड़ताल को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और कई स्वतंत्र फेडरेशनों का पूर्ण समर्थन मिला है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और अब महाराष्ट्र सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण की कोशिशों के खिलाफ चल रहे इस संघर्ष की सराहना की है।

प्रमुख यूनियनें और व्यापक असर
इस आंदोलन में बिजली क्षेत्र की सात प्रमुख यूनियनें शामिल हैं, जिनमें महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन, महाराष्ट्र वीज़ कामगार महासंघ, और तांत्रिक कामगार यूनियन जैसी संस्थाएं प्रमुख हैं। संयुक्त कार्रवाई समिति के अनुसार, कुल कर्मचारियों में से 80% से अधिक इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। हड़ताल का व्यापक असर वितरण, प्रसारण और उत्पादन कंपनी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। कोकण, सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, नासिक और विदर्भ जैसे क्षेत्रों से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार, 80% से अधिक कर्मचारी आंदोलनरत हैं।

हड़ताल का कारण: निजीकरण की जल्दबाजी
कर्मचारियों की मुख्य नाराज़गी

महाराष्ट्र सरकार और बिजली कंपनियों के प्रबंधन द्वारा निजीकरण की एकतरफा कोशिशों को लेकर है। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
🔻अदानी और टोरेंट कंपनियों को वितरण कंपनी के 24 डिवीजनों के लिए समानांतर लाइसेंस देने का सख्त विरोध।
🔻329 पावर सबस्टेशनों को निजी उद्यमियों को सौंपने और 200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की प्रसारण परियोजनाओं को निजी क्षेत्र को देने की योजना का विरोध।
🔻प्रसारण कंपनी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध (लिस्टेड) करने की प्रक्रिया पर रोक।
🔻ठेका (कॉन्ट्रैक्ट) और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित (परमानेंट) करने की मांग।
🔻पेंशन योजना लागू करने और आरक्षित पदों को शीघ्र भरने की मांग।

वार्ता हुई विफल, मजबूरन करना पड़ा आंदोलन

संयुक्त कार्रवाई समिति ने अगस्त 2025 में ही मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को हड़ताल की चेतावनी दे दी थी। यूनियनों का आरोप है कि सरकार और प्रबंधन ने जानबूझकर वार्ता को टालने का प्रयास किया। 6 अक्टूबर को मुंबई में हुई अंतिम दौर की बातचीत भी असफल रही, जिसके बाद यूनियनों ने 72 घंटे की हड़ताल का नोटिस जारी करने का अंतिम निर्णय लिया।

देशभर से मिला समर्थन
9 अक्टूबर को नागपुर में कर्मचारियों और अभियंताओं की एक विशाल सभा आयोजित की गई, जहाँ मुख्य अभियंता के कार्यालय पर बड़ा प्रदर्शन और धरना हुआ। मुंबई और कल्याण में भी ऐसी ही रैलियां हुईं, जिनमें संयुक्त कार्रवाई समिति के नेताओं ने हिस्सा लिया और राज्य सरकार को निजीकरण के प्रयास छोड़ने की खुली चेतावनी दी।

इस दौरान, वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के “वीर और अडिग संघर्ष” को सलाम किया, जो पिछले 300 दिनों से अधिक समय से अपनी सरकार के निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ लड़ रहे हैं।
समर्थन देने वाले प्रमुख केंद्रीय संगठन: इस महत्वपूर्ण संघर्ष को INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC जैसे देश के प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का वैचारिक और नैतिक समर्थन मिला है।

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