खरसिया (पब्लिक फोरम)। शासकीय महात्मा गाँधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरसिया के हिंदी विभाग में दिनांक 26 मार्च 2025 को हिंदी साहित्य के छायावाद के प्रमुख चार स्तंभों में से एक स्तम्भ आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती महादेवी वर्मा की जयंती मनायी गई. विभागाध्यक्ष हिंदी डॉ रमेश टंडन की अध्यक्षता एवं कवयित्री शुभदा रानी सिंह राठौर के मुख्य आतिथ्य में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ. छात्र हेमराज जायसवाल के द्वारा बेहतरीन शब्द चयन के साथ किए गए मंच संचालन में सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों ने माँ शारदे की पूजा की.
इसके पश्चात् श्रेया सागर एवं उषा चौहान ने राज्य गीत की प्रस्तुति दी. अतिथि स्वागत उपरांत छात्र दामोदर पटैल ने महादेवी वर्मा के जीवन पर विस्तार से बोला. छात्रा यामिनी राठौर ने कवयित्री के कृतित्व पर प्रकाश डाला. छात्रा बुबुन घृतलहरे ने अपने वक्तव्य में एक सवाल खड़ा किया कि जब बड़ों के सम्मान में विवाहित महिलाएं घूँघट डालती हैं तो क्या पुरुषों को अपने से बड़ों के सम्मान में ऐसा कुछ किया जाना चाहिए या नहीं. सारे नियम कायदे महिलाओं के ही लिए क्यों ?
मंचासीन वक्ता डॉ डायमंड साहू ने महादेवी के स्त्री सम्बन्धी विचार एवं स्त्री विमर्श पर छात्रों को संबोधित करते गुए इनकी कविता नीर भरी दुःख की बदली का जिक्र किया. डॉ रमेश टंडन ने वेदना से पूर्ण इनकी कृति नीहार, रश्मि, नीरजा और सांध्यगीत से लेकर दीपशिखा का वर्णन किया और कहा कि इन्होंने वेदना को आनंद से सर्वथा ऊँचा स्थान दिया.
महादेवी लिखती हैं- इन लालचाई आँखों पर, पहरा था जब ब्रीड़ा का, साम्राज्य मुझे दे डाला, उस चितवन ने पीड़ा का.
मुख्य अतिथि शुभदारानी सिंह राठौर कवयित्री ने अपने उद्बोधन से छात्रों में नयी चेतना का संचार किया और महादेवी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को कलमकार बनने की प्रेरणा दी. इन्होंने लयबद्ध मौलिक गीत के साथ राज्य गीत की प्रस्तुति भी दी. छात्र मुकेश कुमार राठिया के आभार में संपन्न जयंती में यामिनी, कविता चंद्रा, डिगेश्वरी, देवलता, चन्द्रकान्ति, चम्पा, शशिकला, पायल, अन्नपूर्णा, कविता साहू, उषा, सलीम, गजबाई, रत्ना, दामोदर, अमन, रितीक, मुकेश कुमार, जय प्रकाश, दीक्षा, हेमराज, मीना, नेहा, बिंदिया रानी, ममता, श्रेया, बुबुन, दुर्गेश, नर्मदा, अंजली, गुलापी, पुष्पा, सुनिता, मंगलासो, टिकेश्वरी, सोनू, राहुल दास, विनायक, जीतू आदि छात्रों ने हिस्सा लिया।
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