कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कुसमुंडा खदान में भू विस्थापित किसानों ने शनिवार को अपनी लंबित मांगों के लिए पांच घंटे तक खदान बंद कर दिया। उनकी मुख्य मांगों में रोजगार के लंबित प्रकरणों का समाधान, पुनर्वास, जमीन वापसी और बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान शामिल है। आंदोलन के कारण खदान में कोल परिवहन पूरी तरह ठप हो गया। एसईसीएल के महाप्रबंधक ने बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के दौरान 10 दिनों के भीतर समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर लंबे समय से संघर्ष छेड़ रखा है। कुसमुंडा खदान से प्रभावित हजारों किसानों ने आरोप लगाया है कि एसईसीएल और जिला प्रशासन उनके अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं।
किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा, “विकास के नाम पर हमारी जमीन और गांव छीन लिए गए, लेकिन हमारा जीवन स्तर सुधरने के बजाय और बदतर हो गया। हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के बावजूद विस्थापितों को स्थायी रोजगार और सुविधाएं नहीं दी गईं।”
पिछला संघर्ष और बढ़ती नाराजगी
31 अक्टूबर 2021 को इसी मुद्दे पर 12 घंटे का खदान बंद आंदोलन हुआ था। तब से किसान 1126 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। इस बार पांच घंटे के खदान बंद से अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव दीपक साहू ने कहा, “एसईसीएल पुराने रोजगार प्रकरणों को गंभीरता से नहीं ले रहा। खमहरिया के किसानों से उनकी पुश्तैनी जमीन छीनने की कोशिश हो रही है। यह पूरी तरह से अन्याय है।”
प्रशांत झा, किसान सभा के नेता, ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार और बुनियादी अधिकारों के लिए थक चुके हैं। “हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक हर खातेदार को स्थायी रोजगार और उनकी जमीन वापस नहीं मिल जाती।
“भू विस्थापितों की प्रमुख मांगें
1. 1978 से 2004 तक अर्जित सभी जमीनों के खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाए।
2. बिलासपुर मुख्यालय में लंबित सभी फाइलों का तत्काल समाधान किया जाए।
3. अर्जन के बाद जन्मे प्रकरणों को भी शामिल कर सभी खातेदारों को रोजगार दिया जाए।
4. खमहरिया की अधिग्रहित जमीन मूल किसानों को वापस की जाए।
5. भैसमाखार के विस्थापितों को पुनर्वास की सुविधाएं दी जाएं।
भू विस्थापितों का दर्द इस आंदोलन में साफ झलकता है। रेशम यादव, दामोदर श्याम और सुमेंद्र सिंह कंवर जैसे नेताओं ने कहा, “हम अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई जारी रखेंगे। सरकार को ऐसा जीवन देना चाहिए जिससे हमें महसूस हो कि हमारी जमीन खोने का कोई फायदा हुआ है।”
किसान सभा ने चेतावनी दी है कि यदि भू विस्थापितों की समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो कोल परिवहन बार-बार रोका जाएगा। गांव-गांव में बैठकें कर आंदोलन को मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है।
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