back to top
बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
होमआसपास-प्रदेशउरगा-चांपा राष्ट्रीय राजमार्ग पर मड़वारानी मंदिर स्थानांतरण: विकास के लिए सद्भावना का...

उरगा-चांपा राष्ट्रीय राजमार्ग पर मड़वारानी मंदिर स्थानांतरण: विकास के लिए सद्भावना का प्रतीक

कोरबा (पब्लिक फोरम)। उरगा-चांपा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 149 बी में तब्दील करने के तहत फोरलेन सड़क निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस दौरान भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत घरों, दुकानों और अन्य परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कर मुआवजा राशि वितरित की गई। हालांकि, ग्राम खरहरी के पास स्थित मड़वारानी मंदिर सड़क निर्माण में बाधा बना हुआ था, जिससे यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट तीन वर्षों से अधूरा था।

ग्रामीणों और प्रशासन के सहयोग से मंदिर स्थानांतरण
सड़क निर्माण में बाधा को दूर करने के लिए जिला कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देशन में एसडीएम सरोज महिलांगे और पुलिस प्रशासन ने मंदिर समिति और ग्रामीणों के साथ बैठकें आयोजित कीं। आपसी सहमति और धार्मिक विधानों के तहत मंदिर को नए स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया।
तीन दिनों तक मंदिर में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों के बाद, ढोल-नगाड़ों के साथ मड़वारानी मंदिर की मूर्ति को सम्मानपूर्वक नए स्थान पर प्रतिस्थापित किया गया। इस प्रक्रिया में मड़वारानी मंदिर विकास समिति और ग्रामीणों ने उत्साह और सहयोग का परिचय दिया।

कलेक्टर ने जताया आभार, किया विकास का आह्वान
मंदिर स्थानांतरण के सफल समापन पर कलेक्टर अजीत वसंत ने समिति और ग्रामीणों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस सद्भावपूर्ण प्रयास से न केवल सड़क निर्माण में तेजी आएगी बल्कि कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों के लोगों को यातायात दबाव से राहत मिलेगी। इस फोरलेन सड़क के पूरा होने से क्षेत्र में आवागमन सुगम होगा और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

विकास में जनसहयोग की मिसाल
मड़वारानी मंदिर स्थानांतरण एक उदाहरण है कि कैसे जनसहयोग और प्रशासनिक सूझबूझ से विकास परियोजनाओं को संवेदनशीलता और सम्मान के साथ आगे बढ़ाया जा सकता है। यह कदम न केवल सड़क निर्माण की बाधा को दूर करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सामाजिक और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए भी विकास को आगे बढ़ाया जा सकता है।

मड़वारानी मंदिर स्थानांतरण क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह घटना न केवल प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के आपसी तालमेल का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विकास और परंपरा के बीच संतुलन संभव है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments