रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार, महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर 2024 को “स्वच्छ भारत दिवस” के अवसर पर, जिला न्यायालय परिसर में “स्वच्छता ही सेवा-2024” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के साथ ही प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री जितेन्द्र कुमार जैन के मार्गदर्शन और अध्यक्षता में, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री देवेन्द्र कुमार साहू और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती अंकिता मुदलियार के नेतृत्व में ‘नई उम्मीद घरौंदा आश्रम’ में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर की शुरुआत महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्प और नारियल अर्पित कर, दीप प्रज्वलन के साथ की गई। आश्रम की अधीक्षिका नेहा सिन्हा और संचालक मोहंती ने न्यायाधीशों का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री जितेन्द्र कुमार जैन ने अपने उद्बोधन में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने साफ-सफाई के महत्व को रेखांकित करते हुए बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, खानपान, दिनचर्या और देखभाल की जानकारी भी ली।
शिविर में न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, न्यायालयीन कर्मचारी और पैरालीगल वालंटियर्स उपस्थित रहे।
स्वच्छता ही सेवा-2024 कार्यक्रम का विस्तार
इसी क्रम में, जिला जेल परिसर में भी स्वच्छता शिविर आयोजित किया गया, जहां बंदियों को परिसर की साफ-सफाई बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया। जेल में निरुद्ध बंदियों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विजेताओं को प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरित किए गए।
इस विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन न केवल सामाजिक जागरूकता का एक सराहनीय प्रयास था, बल्कि यह मानसिक रूप से कमजोर बच्चों और जेल बंदियों के जीवन को बेहतर बनाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम था। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री जितेन्द्र कुमार जैन ने बच्चों के अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाने की जो बात कही, वह अत्यंत प्रासंगिक और मानवीय है। कमजोर वर्गों की भलाई के लिए ऐसे प्रयास आवश्यक हैं, क्योंकि यह समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
शिविर में स्वच्छता के मुद्दे को भी गंभीरता से उठाया गया, जो महात्मा गांधी के आदर्शों और स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्यों के अनुरूप है। जेल परिसर में बंदियों के बीच स्वच्छता की आदत डालना और उन्हें इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाना एक सकारात्मक प्रयास है, जो उनके आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को भी संबल देगा।
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