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शिक्षा-स्वास्थ्य छोड़ शराब परोसने में लगी सरकार! महिला फेडरेशन और CPI का बड़ा आरोप

कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की कोरबा जिला परिषद और महिला फेडरेशन (NFIW) ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रविवार, 15 जून 2025 को जारी एक साझा प्रेस बयान में, भारतीय महिला फेडरेशन छत्तीसगढ़ की राज्य सह सचिव कामरेड विजयलक्ष्मी चौहान और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जिला कोरबा के सचिव कामरेड पवन कुमार वर्मा ने कहा कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों की उपेक्षा कर रही है, जबकि इसके विपरीत शराब दुकानों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

संयुक्त बयान में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि एक तरफ जहाँ प्रदेश में 10,463 स्कूल बंद कर दिए गए हैं, वहीं दूसरी ओर लगातार नए शराब आउटलेट खोले जा रहे हैं। नेताओं ने सवाल उठाया, “क्या यही आदिवासी मुख्यमंत्री की प्राथमिकता होनी चाहिए?”

महिलाओं पर अत्याचार और बढ़ती नशाखोरी
CPI और महिला फेडरेशन ने दावा किया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में महिलाओं पर अत्याचार और नशे से जुड़ी घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि घरेलू हिंसा, अपराध और सामाजिक विघटन की जड़ में सरकार की शराब नीति है, और इसे बहुजन समाज को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश बताया।
बयान में यह भी कहा गया कि सरकार “अंग्रेजों की तरह प्राकृतिक संसाधनों की लूट” कर रही है। हसदेव अरण्य में आदिवासियों को विस्थापित कर कोयला निकालने का काम जारी है, जिससे पर्यावरण, जीवन और संस्कृति तीनों पर संकट मंडरा रहा है।

महिला संगठन और CPI की 06 प्रमुख मांगें
प्रेस बयान में सरकार से निम्नलिखित छह प्रमुख मांगें की गईं:
– शराब दुकान खोलने की नीति को तत्काल रद्द किया जाए।
– बंद किए गए स्कूलों को दोबारा खोला जाए।
– स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में प्राथमिकता के साथ निवेश किया जाए।
– हसदेव क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए।
– कोरबा जिले के सभी तालाबों की साफ-सफाई और पानी भरने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
– कोरबा जिले के प्रदूषित वातावरण का एक मुख्य कारण ट्रकों द्वारा राखड़ का परिवहन है; इसे बदल कर कैप्सूल से किया जाए ताकि आम जनजीवन को सांस लेने में दिक्कत न हो।

साझा बयान जारी करते हुए दोनों संगठनों ने जनता से अपील की है कि वे सरकार की इन नीतियों का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करें और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं।

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