कोरबा/सरगुजा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल सरगुजा जिले में एसईसीएल की अमेरा कोयला खदान विस्तार परियोजना का विरोध कर रहे परसोड़ी कलां गांव के आदिवासी ग्रामीणों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर विवाद गहरा गया है। बुधवार को ग्रामीणों पर किए गए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जाने की अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने तीखी निंदा की है।
किसान सभा ने इस खदान विस्तार परियोजना को संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों, पेसा अधिनियम और आदिवासी वनाधिकार कानून का खुला उल्लंघन करार देते हुए एसईसीएल के प्रशासनिक अधिकारियों और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पेसा और वनाधिकार कानून की अनिवार्यता
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि पेसा कानून के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और खनन से पूर्व ग्रामसभा की लिखित सहमति अनिवार्य है। इसी तरह वनाधिकार कानून के तहत किसी भी परियोजना को लागू करने से पहले वन भूमि पर आदिवासी अधिकारों की स्थापना जरूरी है। उन्होंने बताया कि इन दोनों कानूनों को देश के किसी भी अन्य कानून पर वरीयता प्राप्त है, लेकिन इस परियोजना में इनका क्रियान्वयन नहीं हुआ है।
झा ने आरोप लगाया कि एसईसीएल कोल बेयरिंग एक्ट के नाम पर गैर-कानूनी ढंग से भूमि अधिग्रहण का दावा कर रहा है, जो संवैधानिक प्रावधानों की खुली अवहेलना है।

पुलिस ने तोड़ीं झोपड़ियां, फसल जलाने का प्रयास
किसान सभा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की भूमि पर कब्जा करने के लिए पुलिस बल ने पहले झोपड़ियां और उनके शांतिपूर्ण धरना स्थल को तोड़ा। इसके बाद किसानों के खलिहान में पड़ी फसल को आग लगाने की कोशिश की गई, जिससे तनाव बढ़ा और टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
संगठन ने इस हिंसक झड़प के लिए भाजपा राज्य सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि सरकार आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी कर कॉर्पोरेट हितों की रक्षा में लगी हुई है।
प्रदेश भर में खनन परियोजनाओं का विरोध
किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने कहा कि खनन परियोजना के लिए ग्रामीणों के दमन का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक क्षेत्र और रायगढ़ में भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्तावों के आधार पर पुलिस बल की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई और अवैध खनन गतिविधियां जारी हैं।
उन्होंने बताया कि कोरबा जिले में कोल इंडिया के सबसे बड़े मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में भी खदान विस्तार के खिलाफ विरोध कर रहे भू-विस्थापितों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया था। साहू ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन की अगुआई में बिना एनओसी के ही पेड़ों की कटाई जारी है।
सरकार का दोगला चरित्र
किसान सभा नेताओं ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पेसा कानून का प्रभावी तरीके से पालन करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एसईसीएल और जिला प्रशासन इसका खुला उल्लंघन कर रहे हैं। खनन के लिए आदिवासियों की बेदखली की मुहिम से भाजपा सरकार का दोगला चरित्र बेनकाब हो गया है।
किसान सभा की मांगें
किसान सभा ने भाजपा राज्य सरकार से कॉर्पोरेट परस्त खनन नीतियों को पलटने, पेसा और वनाधिकार कानूनों का उल्लंघन कर चलाई जा रही सभी खनन परियोजनाओं को निलंबित करने और अमेरा खदान विस्तार परियोजना पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।
संगठन ने बताया कि किसान सभा और सहयोगी संगठनों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अमेरा क्षेत्र का दौरा करेगा और नाजायज भूमि अधिग्रहण तथा विस्थापन के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन विकसित करने की रणनीति बनाएगा। साहू ने कहा कि खदान विस्तार के लिए पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार दमन का सहारा ले रही है, लेकिन इससे विस्थापन के खिलाफ आंदोलन और तेज होगा।





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