कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड द्वारा भूमि अधिग्रहण के विस्थापितों के रोजगार का मुद्दा विधानसभा में चर्चा का विषय बना। रामपुर के कांग्रेसी विधायक फूलसिंह राठिया ने इस संबंध में राजस्व मंत्री से लिखित प्रश्न किया।
फूलसिंह राठिया ने कहा कि लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड की इकाइयों 3, 4, 5, और 6 के लिए लगभग 1759 भू स्वामियों से भूमि अधिग्रहण किया गया है। उन्होंने पूछा कि क्या भू- विस्थापित परिवारों के सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है या नहीं। क्या छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत 2.6 वर्षों के उपरांत भू स्वामियों को जीवन-यापन भत्ता प्रदान किया जाना चाहिए? यदि हां, तो कंपनी द्वारा क्या कोई व्यवस्था की गई है? विधायक ने यह भी पूछा कि यदि कंपनी द्वारा रोजगार और जीवन-यापन भत्ता नहीं दिया जा रहा है, तो क्या भूमि अधिग्रहण की तिथि से भू स्वामियों को जीवन-यापन भत्ता दिया जाएगा या फिर उनकी भूमि वापस की जाएगी?
राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने लिखित उत्तर में बताया कि इच्छुक परिवारों को अस्थायी रोजगार उपलब्ध कराया गया है। राजस्व मंत्री के अनुसार, कंपनी का दिवालिया होने संबंधी मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण अन्य व्यवस्थाएँ नहीं की जा सकी हैं। इकाइयों 3 और 4 के प्रभावित भू-विस्थापितों में से अधिकांश की भूमि पूर्व में भी संयंत्र की इकाइयों 1 और 2 के लिए अधिग्रहित की गई थी, जिसके एवज में उन्हें रोजगार प्रदान किया गया है और वे पिछले 15-16 वर्षों से संयंत्र में कार्यरत हैं। पात्र भू-विस्थापितों को छत्तीसगढ़ शासन की आदर्श पुनर्वास नीति के तहत इकाइयों 3 और 4 के प्रचालन में आने के पश्चात् योग्यता और उपलब्धता अनुसार स्थायी रोजगार अथवा जीवन-यापन भत्ता प्रदान किया जाएगा। वर्तमान में संयंत्र एनसीएलटी न्यायालय हैदराबाद के अधीन दिवालिया प्रक्रिया के तहत विचाराधीन है और न्यायालय के निर्णय के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
यह मामला न केवल प्रभावित परिवारों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रोजगार और पुनर्वास से संबंधित है। न्यायालय के निर्णय का इंतजार करते हुए, सरकार और कंपनी को मिलकर उन लोगों के हितों का संरक्षण करना चाहिए जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई है और जिनकी आजीविका प्रभावित हुई है।
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