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गुरूवार, फ़रवरी 6, 2025
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कुसमुंडा में श्रमिक संकट: जय अंबे कंपनी के विवादास्पद फैसले से 110 मजदूर बेरोजगार!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। जय अंबे नामक निजी कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना के 110 मजदूरों को अचानक नौकरी से निकाल दिया है। इस कार्रवाई ने न केवल श्रमिकों के बीच आक्रोश पैदा किया है, बल्कि स्थानीय समुदाय में भी गहरी चिंता का माहौल बना दिया है।
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना और भूविस्थापित संगठन ने इस मनमाने फैसले के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर अपना विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल अनैतिक है, बल्कि श्रम कानूनों का भी उल्लंघन है।

मजदूरों के अनुसार, जय अंबे कंपनी के प्रबंधक और साइट इंचार्ज ने उन्हें धमकाकर और मारपीट कर खदान से भगा दिया। यह आरोप गंभीर है और इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। मजदूरों ने कुसमुंडा प्रबंधन और स्थानीय पुलिस को इस मामले की जानकारी दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

इस घटना ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया है!

1. श्रमिक अधिकार: क्या निजी कंपनियां बिना किसी उचित कारण या नोटिस के मजदूरों को नौकरी से निकाल सकती हैं?

2. कानून का पालन: क्या जय अंबे कंपनी श्रम कानूनों का पालन कर रही है, खासकर कर्मचारियों की हाजिरी, पीएफ, और मासिक वेतन के संदर्भ में?

3. सुरक्षा का मुद्दा: खदान परिसर में बाहरी व्यक्तियों द्वारा मजदूरों से मारपीट और धमकी के आरोप गंभीर हैं। इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

4. प्रशासनिक जवाबदेही: स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या वे मजदूरों के हितों की रक्षा कर रहे हैं?

मजदूरों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग की है। उनकी मुख्य मांगें हैं:
– नौकरी पर तत्काल बहाली।
– बकाया वेतन का भुगतान।
– सुरक्षित कार्य वातावरण की गारंटी
– श्रम कानूनों का सख्त पालन।

यह मामला स्थानीय स्तर पर श्रम संबंधों और कॉरपोरेट जवाबदेही के बड़े मुद्दों को रेखांकित करता है। प्रशासन और कंपनी प्रबंधन से अपेक्षा है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और एक न्यायसंगत समाधान निकालें। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा और उद्योग के हितों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय और श्रमिक कल्याण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संकट का समाधान कैसे निकलता है और क्या यह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मिसाल बन पाएगा?

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