नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। देश के प्रसिद्ध और जनप्रिय मजदूर नेता, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) तथा इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद श्री चंद्रशेखर दुबे ‘ददई दुबे’ के निधन का समाचार मजदूर समाज के लिए एक गहरा आघात है। उनका निधन दिल्ली में हुआ, जिससे पूरे देशभर में शोक की लहर है।
ददई दुबे जी को देश के श्रमिक आंदोलनों की आत्मा माना जाता था। उन्होंने जीवनभर मजदूरों के हक़, सम्मान और सुरक्षा के लिए संघर्ष किया। चाहे वह कोयला खदानों में श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई हो या राष्ट्रीय स्तर पर मज़दूर नीतियों की पैरवी—हर मोर्चे पर वे अग्रणी भूमिका में रहे।
उनकी नेतृत्व क्षमता और जमीनी समझ के कारण उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री पद और लोकसभा सदस्य के रूप में भी सेवा करने का अवसर मिला। लेकिन उनकी असली पहचान मजदूर नेता की रही, जिसे उन्होंने अपने अंतिम समय तक निभाया। वे मजदूर वर्ग के लिए सिर्फ नेता नहीं, एक अभिभावक की तरह थे।
उनके निधन पर एन.जी. अरुण, राष्ट्रीय महासचिव (INTUC), ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कह
“अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हम लोगों के अभिभावक, भारतवर्ष के मजदूर जगत के लोकप्रिय, सुप्रसिद्ध नेता श्री ददई दुबे जी अब हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
ददई दुबे जी का जाना केवल एक व्यक्ति का नहीं, एक विचारधारा, एक संघर्षशील परंपरा का अवसान है। उनकी प्रेरणा और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को श्रमिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत रहने की राह दिखाते रहेंगे।
ददई दुबे जी को श्रद्धांजलि देते हुए मजदूर संगठनों, राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें ‘मजदूरों की आवाज़’ बताया। देशभर में उनकी स्मृति में शोक सभाएं आयोजित की जा रही हैं।

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