शनिवार, अक्टूबर 4, 2025
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कोरबा का औद्योगिक संकट: वेदांता-बालको पर अवैध कटाई और संयंत्र विस्तार को लेकर लगे गंभीर आरोप, प्रधानमंत्री तक पहुंची शिकायत

🔺कोरबा में वेदांता-बालको पर पर्यावरण नियमों के घोर उल्लंघन का आरोप।
🔺हजारों पेड़ों की अवैध कटाई और बिना अनुमति प्लांट विस्तार का मामला।
🔺प्राकृतिक नाले में हाई-टेंशन पोल गाड़ने और सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायत।
🔺छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कठोर कार्रवाई की मांग की।
🔺स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण संरक्षण मंडल की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल।

कोरबा। (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के ऊर्जाधानी कोरबा में पर्यावरण संरक्षण के नियम एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। वेदांता समूह और भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) पर अपने संयंत्र के विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई करने, प्राकृतिक जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाने और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए “छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना” नामक एक गैर-राजनीतिक संगठन ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप और कठोर कार्रवाई की मांग की है।

क्या हैं प्रमुख आरोप?
शिकायत के केंद्र में वेदांता-बाल्को द्वारा एल्युमिनियम स्मेल्टर की उत्पादन क्षमता को 5.75 लाख टन प्रति वर्ष (एलटीपीए) से बढ़ाकर 10.85 एलटीपीए करने की महत्वाकांक्षी विस्तार परियोजना है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अधिवक्ता दिलीप मिरी द्वारा भेजे गए शिकायती पत्रों के अनुसार, इस विस्तार की आड़ में कंपनी द्वारा कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है:-

अंधाधुंध पेड़ों की कटाई: कंपनी पर आरोप है कि उसने निजी लाभ के लिए कोरबा के ग्रीन जोन में हजारों पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया है, जिससे क्षेत्र के पर्यावरण और ऑक्सीजन स्तर पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

प्राकृतिक नाले से छेड़छाड़: डेंगूरनाला नामक प्राकृतिक नाले के बीचों-बीच हाई-टेंशन बिजली के पोल खड़े कर दिए गए हैं, जो न केवल जल प्रवाह को बाधित कर रहा है, बल्कि जलीय जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी एक बड़ा संकट है।

अवैध निर्माण और अतिक्रमण: शिकायत में कहा गया है कि बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के कंपनी ने विस्तार के लिए एक नया गेट बना लिया है, भारी वाहनों के लिए अवैध स्टैंड का निर्माण किया है और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (सीएसईबी) की जमीन पर अवैध रूप से एक आवासीय परिसर बना डाला है।

नई रेल लाइन का अवैध बिछाव: एक अन्य शिकायत में कलेक्टर को संबोधित करते हुए कहा गया है कि कंपनी वन विभाग और सीएसईबी की भूमि पर बिना किसी अनुमति, अधिसूचना या जनसुनवाई के पेड़ों को काटकर नई रेल लाइन बिछा रही है।

प्रशासनिक संरक्षण और अनसुनी शिकायतें
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का आरोप है कि ये सभी अवैध गतिविधियां कहीं न कहीं प्रशासनिक संरक्षण के कारण ही संभव हो पा रही हैं। अधिवक्ता दिलीप मिरी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि इन मुद्दों को लेकर 2023 में भी लिखित शिकायत की गई थी, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कार्रवाई न होने से कंपनी का मनोबल बढ़ा हुआ है और वह पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हुए नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। संगठन का मानना है कि यदि प्रशासनिक स्तर पर निष्पक्ष जांच हो तो एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।

मानवीय और पर्यावरणीय चिंताएं
यह मामला केवल कुछ पेड़ों के कटने या जमीन पर कब्जे का नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध आम लोगों के जीवन और भविष्य से है। पेड़ों की कटाई से कोरबा जैसे औद्योगिक शहर में प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा, जिससे लोगों के स्वास्थ्य, विशेषकर सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा। प्राकृतिक नाले में हस्तक्षेप से भविष्य में बाढ़ जैसी आपदाओं की आशंका भी बढ़ जाती है और स्थानीय जल स्रोतों को अपूरणीय क्षति पहुंचती है।

लोगों की आवाज बनकर उभरे छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने अपनी शिकायत में जनता के हितों का ध्यान रखने की अपील की है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वेदांता-बालको के इन अवैध कार्यों की उच्च-स्तरीय जांच कराकर एक कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी कंपनी पर्यावरण के साथ ऐसा खिलवाड़ करने का साहस न कर सके। मामले की प्रतिलिपियां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल और कोरबा कलेक्टर को भी भेजी गई हैं, ताकि हर स्तर पर इस गंभीर मुद्दे का संज्ञान लिया जा सके। अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस मामले पर कब और क्या कार्रवाई करती है।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

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