कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक छोटी सी बेटी ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से बड़ा इतिहास रच दिया है। खोड़री-गेवरा गांव की कुमारी सरस्वती कंवर ने राज्य स्तरीय कराटे प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया, बल्कि जयपुर, राजस्थान में होने वाली राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में अपनी जगह पक्की कर ली है। इस उपलब्धि ने पूरे कंवर समाज को गर्व से भर दिया है।
स्वर्णिम जीत की कहानी
कुमारी सरस्वती कंवर, जिनके पिता प्रभु सिंह कंवर और माता वैजंती कंवर ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया, ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया। उनके दादा राम सिंह कंवर भी इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। सरस्वती ने अपनी ट्रेनिंग और अनुशासन के दम पर राज्य स्तर पर सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अब वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए तैयार हैं।
कंवर समाज की शान
कंवर समाज ने सरस्वती की इस उपलब्धि को गर्व के साथ स्वीकार किया है। समाज की ओर से उन्हें ढेर सारी बधाइयां और शुभकामनाएं दी गई हैं। समाज का कहना है, “हमारी बेटी सरस्वती ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे कंवर समाज का सिर ऊंचा किया है। हम कामना करते हैं कि वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपना परचम लहराए।”
एक प्रेरणादायक यात्रा
सरस्वती की यह जीत केवल एक पदक तक सीमित नहीं है; यह एक ऐसी कहानी है जो मेहनत, समर्पण और सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत को दर्शाती है। छोटे से गांव खोड़री-गेवरा से निकलकर राष्ट्रीय मंच तक का सफर आसान नहीं था। सरस्वती ने दिन-रात अभ्यास किया, चुनौतियों का सामना किया और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कभी हार नहीं मानी। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है।
राष्ट्रीय मंच पर नजर
जयपुर, राजस्थान में होने वाली राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में सरस्वती कंवर अब छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह उनके लिए एक बड़ा अवसर है, जहां वह देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ मुकाबला करेंगी। उनकी इस यात्रा में परिवार, समाज और कोच का साथ उनकी ताकत बना हुआ है। सरस्वती का कहना है, “मैं अपने देश और समाज के लिए कुछ बड़ा करना चाहती हूं। यह मेरे लिए सिर्फ शुरुआत है।”
भावनात्मक और सामाजिक महत्व
सरस्वती की जीत एक व्यक्तिगत उपलब्धि से कहीं अधिक है। यह उस सामाजिक बदलाव का प्रतीक है, जहां छोटे गांवों की बेटियां भी बड़े मंचों पर अपनी पहचान बना रही हैं। कंवर समाज और कोरबा के लोगों के लिए यह गर्व का क्षण है। उनकी इस जीत ने नई पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए सरस्वती अब और भी कड़ा अभ्यास कर रही हैं। उनके कोच और परिवार का कहना है कि उनकी मेहनत और आत्मविश्वास उन्हें और ऊंचाइयों तक ले जाएगा। कंवर समाज ने भी उन्हें हर तरह का समर्थन देने का वादा किया है। समाज की ओर से यह संदेश है, “हमारी बेटी सरस्वती को हमारा पूरा साथ है। हम चाहते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन करे।”
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