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कोरबा की बेटी भव्या ने स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास: छत्तीसगढ़ का नाम हुआ रोशन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। खेल की दुनिया में कोरबा की बेटियां हर दिन नई ऊंचाइयां छू रही हैं। इसी कड़ी में कोरबा की होनहार बेटी भव्या त्रिवेदी ने “खेलो इंडिया जूनियर विमेंस स्विमिंग कंपीटिशन” में स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व का मौका दिया। भव्या की इस शानदार उपलब्धि ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

इंदौर में गूंजा भव्या का नाम
यह प्रतियोगिता 22 और 23 मार्च 2025 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में आयोजित हुई थी। इसमें बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों की प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। भव्या ने 200 मीटर फ्री-स्टाइल तैराकी में अपना दम दिखाया और स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। उनका यह प्रदर्शन देख हर कोई हैरान रह गया। कोरबा की इस बेटी ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया।

माता-पिता की लाडली, कोरबा की शान
भव्या माया त्रिवेदी और कृष्णा त्रिवेदी की बेटी हैं। उनके माता-पिता ने हमेशा उनकी हौसला-अफजाई की और आज उनकी मेहनत रंग लाई। भव्या की जीत की खबर सुनते ही कोरबा में खुशी की लहर दौड़ गई। परिवार वाले गर्व से फूले नहीं समा रहे, वहीं आस-पड़ोस के लोग भी भव्या की तारीफ करते नहीं थक रहे। यह जीत सिर्फ भव्या की नहीं, बल्कि हर उस बेटी की है जो अपने सपनों को सच करने के लिए दिन-रात मेहनत करती है।

एक प्रेरणा बन गई भव्या
भव्या की इस सफलता ने नन्हे बच्चों और युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की है। खेल के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का नाम ऊंचा करने वाली भव्या अब कोरबा की नई पहचान बन गई हैं। उनके कोच और दोस्तों का कहना है कि भव्या की मेहनत और अनुशासन ही उनकी जीत का राज है। इस जीत ने यह भी दिखाया कि छोटे शहरों की प्रतिभाएं भी बड़े मंच पर अपनी छाप छोड़ सकती हैं।

कोरबा की बेटियों का सुनहरा भविष्य
खेल के क्षेत्र में कोरबा की बेटियां लगातार आगे बढ़ रही हैं। भव्या की यह उपलब्धि उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। यह जीत न सिर्फ एक पदक की कहानी है, बल्कि मेहनत, लगन और हिम्मत की जीवंत मिसाल भी है।

भावनाओं और गर्व का संगम
भव्या की जीत हर कोरबा वासी के लिए गर्व का पल है। एक छोटे से शहर की बेटी ने देश के सामने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया। यह कहानी हर उस इंसान को छूती है जो अपने बच्चों के सपनों में यकीन रखता है। भव्या की इस जीत ने साबित कर दिया कि अगर दिल में जुनून हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।

भव्या त्रिवेदी ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से स्वर्ण पदक जीतकर कोरबा और छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया। उनकी यह सफलता हर उस बेटी के लिए एक संदेश है जो अपने सपनों को सच करना चाहती है। कोरबा की यह बेटी अब पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गई है।

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