कोरबा (पब्लिक फोरम)। महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिले में लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 2 दिसंबर 2024 को ज्योति भूषण विधि महाविद्यालय में एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जहां छात्र-छात्राओं को महिला सुरक्षा, बाल संरक्षण, और कानूनी अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी गई।
इस जागरूकता सत्र में जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती रेणु प्रकाश के मार्गदर्शन में विभिन्न विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया।
संरक्षण अधिकारी रजनी मारिया ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 और कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर प्रकाश डाला।
साथ ही, 181 महिला हेल्पलाइन और सखी वन स्टॉप सेंटर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की जानकारी केंद्र प्रशासक सुश्री पुष्पा नवरंग ने दी।
बाल विवाह और बाल सुरक्षा पर विशेष ध्यान
बाल विवाह रोकथाम अधिनियम और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के प्रावधानों पर चाइल्डलाइन टीम की सदस्य श्रीमती अनुराधा सिंह और पीएलवी उमा नेताम ने विस्तार से जानकारी दी।
चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की सेवाओं के बारे में छात्रों को जागरूक किया गया ताकि बाल अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
कानूनी सहायता और NALSA योजनाओं की जानकारी
सत्र में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बारे में भी चर्चा हुई।
नेशनल लोक अदालत (14 दिसंबर 2024) की जानकारी देकर छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया से परिचित कराया गया।
सत्र के अंत में जागरूकता पर्चे (पांफ़लेट) वितरित किए गए, जिससे छात्रों में कानूनी अधिकारों और सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
अभियान का उद्देश्य और प्रभाव
यह अभियान महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक करने के लिए चलाया जा रहा है।
कार्यक्रम के माध्यम से न केवल छात्रों को बल्कि समाज को भी जागरूक करने की पहल की गई।
यह प्रयास लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सामाजिक बदलाव की नींव रखेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग का यह प्रयास सराहनीय है, क्योंकि यह महिलाओं और बच्चों को हिंसा और भेदभाव से मुक्त वातावरण प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा।
आवश्यक है कि ऐसे कार्यक्रमों में समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी हो ताकि जागरूकता और सुरक्षा के ये संदेश व्यापक स्तर तक पहुंच सकें।
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