कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा नगर पालिक निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पहली जीत दर्ज कर ली है। वार्ड क्रमांक 18 से भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र देवांगन निर्विरोध पार्षद चुने गए हैं। यह जीत तब सुनिश्चित हुई जब कांग्रेस प्रत्याशी हरीश कुमार उर्फ विक्की ने नामांकन की स्क्रूटनी के दौरान अपना नाम वापस ले लिया।
भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत कैसे हुई?
कोरबा नगर निगम चुनाव में भाजपा ने वार्ड क्रमांक 18 से नरेंद्र देवांगन को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस की ओर से हरीश कुमार उर्फ विक्की ने भी नामांकन दाखिल किया, लेकिन स्क्रूटनी के दौरान उन्होंने अचानक नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद नरेंद्र देवांगन को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया।
इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को जन्म दे दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी का अंतिम समय में पीछे हटना संदेह और अटकलों को बढ़ावा दे रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या हरीश कुमार किसी दबाव या प्रलोभन का शिकार हुए?

भाजपा के लिए मनोबल बढ़ाने वाली जीत
कोरबा नगर निगम में लंबे समय से कांग्रेस का वर्चस्व रहा है, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को पहली सफलता मिल गई। नरेंद्र देवांगन का निर्विरोध चुना जाना भाजपा की रणनीतिक बढ़त को दर्शाता है और इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है।
गौरतलब है कि नरेंद्र देवांगन, छत्तीसगढ़ सरकार के उद्योग एवं श्रम मंत्री लखन देवांगन के भाई हैं, जिससे यह जीत और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
कांग्रेस खेमे में उठे सवाल
कांग्रेस प्रत्याशी का ऐन मौके पर नामांकन वापस लेना पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है। क्या यह कोई आंतरिक कलह का नतीजा था, या फिर बाहरी दबाव की वजह से हुआ? इन सवालों के जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं, लेकिन इस घटनाक्रम ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भाजपा के लिए यह जीत निश्चित रूप से नगर निगम चुनावों में उसकी स्थिति मजबूत कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह जीत भाजपा के लिए अन्य वार्डों में भी बढ़त सुनिश्चित कर पाएगी या फिर कांग्रेस इस झटके से उबरकर रणनीतिक वापसी करेगी।
नगर निगम चुनाव के इस नाटकीय मोड़ ने राजनीतिक माहौल को और दिलचस्प बना दिया है। अब सबकी नजरें आगामी चुनावी मुकाबलों और राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर टिकी हैं।
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