कोरबा (पब्लिक फोरम)। एसईसीएल की कुसमुंडा खदान में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक नया मोड़ ले लिया है। असिस्टेंट मैनेजर माइनिंग जितेंद्र नागरकर की मृत्यु के मामले में महाप्रबंधक राजीव सिंह द्वारा जारी एक विवादास्पद पत्र ने तूफान खड़ा कर दिया है। इस पत्र में स्वर्गीय नागरकर को मोबाइल गेमिंग के कारण दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसने स्थानीय सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत को आग बबूला कर दिया है।
सांसद महंत ने महाप्रबंधक के इस कथित गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “एक वरिष्ठ अधिकारी से इस तरह का अपरिपक्व और असंवेदनशील बयान अत्यंत निंदनीय है। उन्हें तुरंत एक निष्पक्ष जांच का आदेश देना चाहिए था, न कि बिना किसी ठोस सबूत के एक मृत कर्मचारी पर दोषारोपण करना।”
उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए, जैसे:
1. घटनास्थल पर जलभराव और ओवरबर्डन के जमाव की जिम्मेदारी किसकी है?
2. ह्यूम पाइप की सफाई में लापरवाही क्यों बरती गई?
3. सुरक्षा मानकों का पालन करने में कौन चूक गया?
सांसद ने आगे कहा, “महाप्रबंधक का यह दावा कि एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी ड्यूटी के दौरान गेम खेल रहा था, न केवल अमानवीय है, बल्कि पूरी घटना से ध्यान भटकाने का एक कुटिल प्रयास प्रतीत होता है। ऐसा लगता है कि प्रबंधन वास्तविक दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहा है।”
उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि जब आमतौर पर खदान की हर छोटी-बड़ी दुर्घटना की जांच खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) करता है, तो फिर महाप्रबंधक ने अपने स्तर पर इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया।
महंत ने यह भी संदेह जताया कि ओवरबर्डन के ठेकेदार द्वारा सुरक्षा नियमों की अवहेलना की गई होगी, जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि:
1. महाप्रबंधक राजीव सिंह का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।
2. डीजीएमएस द्वारा पूरे प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।
सांसद ने इस गंभीर मामले को कोल इंडिया के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का क्या परिणाम निकलता है और क्या वास्तव में न्याय की जीत होती है।
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