कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा नगर निगम महापौर पद के लिए इस बार महिला आरक्षण ने चुनावी समीकरण बदल दिए हैं। जहां पहले सामान्य पुरुष वर्ग के लिए आरक्षण की संभावना थी, वहीं अब सामान्य महिला वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने से दोनों प्रमुख पार्टियों—कांग्रेस और भाजपा—के दिग्गज नेताओं के गणित उलझ गए हैं।
रूबी तिवारी: एक नया चेहरा
महापौर पद की दौड़ में यूथ कांग्रेस की प्रदेश महासचिव रूबी तिवारी का नाम प्रमुखता से उभरकर सामने आया है। एक साधारण और गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाली रूबी, युवाओं और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती हैं। उनके मुकाबले में कई अनुभवी और स्थापित महिला नेता भी हैं, लेकिन रूबी की सरलता और युवा ऊर्जा ने उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया है।
चुनाव का बदलता परिदृश्य
महिला आरक्षण के चलते कोरबा नगर निगम का यह चुनाव न केवल पारंपरिक राजनेताओं के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, बल्कि जनता के लिए भी एक अहम फैसला लेने का समय है। कोरबा की जनता के सामने सवाल यह है कि वे धन और शक्ति के आधार पर चुनाव लड़ने वालों को चुनते हैं या एक नई पीढ़ी की पढ़ी-लिखी, ईमानदार और ऊर्जावान नेता को मौका देते हैं।
क्या कहती है जनता?
स्थानीय मतदाताओं के लिए यह चुनाव उनके भविष्य के नेतृत्व का निर्धारण करेगा। रूबी तिवारी का दावा है कि वह जनता की सेवा और बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर, पुराने नेताओं का अनुभव और नेटवर्क उनके पक्ष में मजबूत हथियार बन सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोरबा की जनता बदलाव की ओर कदम बढ़ाती है या परंपरागत राजनीतिक चेहरे को ही प्राथमिकता देती है। यह चुनाव केवल एक महापौर के चयन तक सीमित नहीं, बल्कि कोरबा के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में नए अध्याय की शुरुआत हो सकता है।
क्या कोरबा की जनता एक युवा नेतृत्व को अपनाने के लिए तैयार है? इसका जवाब 2025 के महापौर चुनावों के नतीजे देंगे।
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