24 घंटे आंदोलन के बाद प्रबंधन ने की बात
कोरबा (पब्लिक फोरम)। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित कुसमुंडा परियोजना खदान में सोमवार को शुरू हुआ आंदोलन के लगभग 24 घंटे के बाद प्रबंधन के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ।
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रविवार की सुबह लगभग 10 बजे कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने से आंदोलनकारी बड़ी संख्या में शुरू होकर कुसमुंडा थाना चौक पहुंचे, जहां कुसमुंडा खदान से निकलने वाली भारी वाहनों को रोकते हुए सड़क पर ही बैठ गए। सड़क पर ही दोपहर और रात का खाना बनाया गया और संभवतः एसईसीएल कुसमुंडा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा की बड़ी संख्या में आंदोलनकारी जिसमें अधिकांश महिलाएं थी, पूरी रात सड़कों पर खुले आसमान के नीचे ही डटे रहे।
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अगली सुबह आंदोलनकारी मंगलवार को कुछ लोगों को थाना चौक पर ही छोड़कर कुसमुंडा खदान अंदर प्रवेश किए और साइलो का काम रोकते हुए सभी सतर्कता चौक पर कोल डिस्पेच को भी रोकते हुए वही बैठ गए। इधर आंदोलन की वजह से कुसमुंडा खदान अंदर के साथ-साथ बाहर कई किलोमीटर तक भारी वाहनों की कतार लग गई।
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खदान के बाहर ट्रेफिक व्यवस्था को सम्हालना मुश्किल हो गया था। जिसके बाद दर्री तहसीलदार भारत सिंह और कुसमुंडा थाना प्रभारी कृष्ण कुमार की अगुवाई में आंदोलनकारियों और प्रबंधन के साथ एक त्रिपक्षीय वार्ता शुरू हुई जिसमें प्रबंधन के द्वारा कहा गया की आगामी 21 सितम्बर को बिलासपुर सीएमडी स्तर के अधिकारियों के साथ एक बैठक होगी। जिसमें भू-विस्थापितों की मांगों पर चर्चा की जावेगी। इस आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ।
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