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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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कोरबा: ओवर ब्रिज और अंडर ब्रिज निर्माण से प्रभावित परिवारों के मुआवजे की मांग, पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने जिला प्रशासन को लिखा पत्र

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा शहर और आसपास के क्षेत्रों में चल रहे ओवर ब्रिज और अंडर ब्रिज निर्माण कार्य के चलते प्रभावित परिवारों के समुचित पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कलेक्टर कोरबा को पत्र लिखा है। इस पत्र की प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक और नगर निगम आयुक्त कोरबा को भी प्रेषित की गई है।जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में उल्लेख किया कि एसईसीएल द्वारा संचालित खदान क्षेत्रों—गेवरा, कुसमुण्डा और दीपका में ओवर ब्रिज निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस क्षेत्र के निवासियों ने शिकायत की है कि निर्माण कार्य के कारण उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ठंड के इस कठिन समय में न केवल उनके समक्ष व्यवस्थापन की समस्या खड़ी हो गई है, बल्कि उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है।

इसी प्रकार, सुनालिया पुल मार्ग से रेलवे स्टेशन जाने वाले रास्ते पर प्रस्तावित अंडर ब्रिज के निर्माण के चलते रेलवे क्रॉसिंग के दोनों ओर बस्तियों में रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने उन्हें तत्काल घर खाली करने का निर्देश दिया है और संबंधित विभागों ने मकान खाली करवाने के बाद तोड़फोड़ की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

जयसिंह अग्रवाल ने जिला प्रशासन से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हुए कहा कि ठंड के इस मौसम में प्रभावित परिवारों को कम से कम 15 दिनों का समय दिया जाना चाहिए ताकि वे वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें। उन्होंने कहा कि कई लोग अपने घरों के बाहर छोटे व्यवसाय और दुकानें चला रहे हैं। ऐसे में उन्हें समय देने से वे अपनी दुकानें और सामान सुरक्षित तरीके से हटा सकेंगे और संभावित आर्थिक नुकसान से बच पाएंगे।

समुचित मुआवजे की मांग

जयसिंह अग्रवाल ने प्रशासन को यह भी अवगत कराया कि कुसमुण्डा और दीपका क्षेत्र में निर्माणाधीन ओवर ब्रिज के कारण प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा, अंडर ब्रिज निर्माण से विस्थापित हो रहे लोगों को मुआवजे में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं, जिन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन को चाहिए कि किसी भी निर्माण कार्य से पहले प्रभावित परिवारों के लिए उचित व्यवस्थापन सुनिश्चित किया जाए। यह प्रशासन की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वे प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के लिए न केवल समय दें बल्कि समुचित मुआवजा भी प्रदान करें ताकि उनके जीवन पर नकारात्मक असर न पड़े।

पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से संवेदनशील रवैया अपनाने और विस्थापित परिवारों के लिए तुरंत राहत प्रदान करने की अपील की है। यह जरूरी है कि विकास कार्यों के साथ-साथ प्रभावित लोगों के मानवीय अधिकारों का सम्मान किया जाए और उन्हें एक बेहतर पुनर्वास योजना दी जाए।

विकास के नाम पर किसी भी परिवार को बेघर करना न केवल सामाजिक अन्याय है बल्कि मानवीय संवेदनाओं के विपरीत भी है।

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