back to top
सोमवार, सितम्बर 29, 2025
होमआसपास-प्रदेशकोरबा: छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी...

कोरबा: छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का हल्ला बोल, 6 अगस्त को धरना प्रदर्शन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे सुनियोजित हमलों के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने आज एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। पार्टी का आरोप है कि ये घटनाएं राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला हैं। इसी के मद्देनजर आज दोपहर 3:00 बजे कोरबा के आईटीआई चौक पर एक विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा, जिसके बाद राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन जिलाधीश को सौंपा जाएगा।

क्यों हो रहा है यह प्रदर्शन?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव, पवन कुमार वर्मा ने एक बयान जारी कर कहा कि राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने इन घटनाओं को लोकतांत्रिक समाज के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। पार्टी का मानना है कि इन सुनियोजित हमलों से प्रदेश का शांतिपूर्ण माहौल बिगड़ रहा है और विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास पैदा हो रहा है।

यह विरोध प्रदर्शन इन्हीं चिंताओं को सरकार और आम जनता के सामने रखने का एक प्रयास है। पार्टी ने अपने सभी सदस्यों और आम नागरिकों से इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है ताकि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत आवाज उठाई जा सके।

हाल की घटनाएं और बढ़ता तनाव
यह विरोध प्रदर्शन हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुई कुछ घटनाओं की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा है। पिछले महीने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों और एक व्यक्ति को मानव तस्करी और धर्मांतरण के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह कार्रवाई बजरंग दल की शिकायत पर हुई थी। इस घटना की व्यापक निंदा हुई और इसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के रूप में देखा गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे “सुनियोजित उत्पीड़न” करार दिया था, जबकि कई अन्य विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इस पर गहरी चिंता व्यक्त की थी।

सीपीआई समेत कई वामपंथी दलों ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि, बाद में एनआईए अदालत ने ननों को जमानत दे दी। इस पूरे प्रकरण ने राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और उनकी सुरक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है।

इन आरोपों के बीच, राज्य सरकार ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की बात कही है। सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत जिला कलेक्टरों को विशेष शक्तियां प्रदान की हैं ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।

भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 25 से 30 तक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार है।इन अधिकारों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अल्पसंख्यक समुदाय अपनी पहचान और संस्कृति को संरक्षित करते हुए सम्मान के साथ रह सकें।

कोरबा में आज का यह प्रदर्शन केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक गहरे मुद्दे का प्रतीक है। यह छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिक सद्भाव और लोकतांत्रिक मूल्यों की परीक्षा का समय है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इन चिंताओं पर क्या प्रतिक्रिया देती है और अल्पसंख्यकों में सुरक्षा की भावना को फिर से स्थापित करने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। इस प्रदर्शन का परिणाम राज्य की भविष्य की राजनीतिक और सामाजिक दिशा को प्रभावित कर सकता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments