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कोरबा: न्याय की बड़ी जीत! बीमा कंपनियों की मनमानी पर उपभोक्ता फोरम का चाबुक, शोकाकुल परिवार को मिलेंगे 85 लाख रुपए

कोरबा (पब्लिक फोरम) । न्याय के लिए एक लंबी और कठिन लड़ाई में, कोरबा के एक शोकाकुल परिवार को बड़ी राहत मिली है। जिला उपभोक्ता आयोग ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश की दो बड़ी बीमा कंपनियों को सेवा में कमी का दोषी पाया है। आयोग ने कंपनियों को आदेश दिया है कि वे मृतक व्यवसायी के परिवार को ब्याज और हर्जाने सहित कुल 85 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान करें। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो बड़ी कंपनियों की मनमानी के खिलाफ अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

क्या था पूरा मामला: एक परिवार का संघर्ष और व्यवस्था से लड़ाई
यह कहानी शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी स्वर्गीय श्री विमल कोहली से जुड़ी है, जिनका 5 फरवरी 2022 को आकस्मिक निधन हो गया था। अपने निधन से कुछ समय पहले, स्टार अलायड एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर, स्व. कोहली ने अपने व्यवसाय के लिए एचडीएफसी बैंक से 50 लाख और आदित्य बिरला कंपनी से 35 लाख रुपए का ऋण लिया था।

इस ऋण को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने एक जिम्मेदार कदम उठाते हुए, ऋणदाता संस्थाओं के माध्यम से ही एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस और रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस से ‘क्रेडिट प्रोटेक्शन इंश्योरेंस पॉलिसी’ खरीदी थी। इस पॉलिसी का उद्देश्य यह था कि यदि ऋण लेने वाले को कुछ हो जाए, तो बीमा कंपनी बकाया ऋण चुकाएगी और परिवार पर कोई बोझ नहीं आएगा।

लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। ऋण लेने के कुछ ही समय बाद श्री विमल कोहली का दुखद निधन हो गया। एक तरफ परिवार अपने प्रिय सदस्य को खोने के गम में डूबा था, तो दूसरी तरफ वित्तीय संकट के बादल मंडराने लगे। स्व. कोहली के भाई, श्री विवेक कोहली ने बीमा कंपनियों को सूचित कर बकाया ऋण चुकाने का अनुरोध किया, लेकिन यहाँ से उनकी असल लड़ाई शुरू हुई।

बीमा कंपनियों की दलीलें खारिज, फोरम ने माना ‘सेवा में भारी कमी’

दोनों बीमा कंपनियों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने यह कहते हुए क्लेम देने से इनकार कर दिया कि पॉलिसी अभी पूरी तरह जारी नहीं हुई थी, जबकि प्रीमियम की पूरी राशि का भुगतान किया जा चुका था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह एक व्यावसायिक ऋण था, इसलिए मृतक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते।

इस बीच, ऋण देने वाले बैंक और वित्तीय संस्थान भी परिवार पर बकाया किश्तों के भुगतान के लिए दबाव बनाने लगे और कंपनी को डिफॉल्टर घोषित करने की धमकी देने लगे। चारों तरफ से घिर चुके कोहली परिवार ने अधिवक्ता नूतनसिंह ठाकुर के माध्यम से न्याय के लिए जिला उपभोक्ता आयोग, कोरबा का दरवाजा खटखटाया।

आयोग के समक्ष अधिवक्ता नूतनसिंह ठाकुर ने मज़बूती से तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि प्रीमियम स्वीकार करने के बाद बीमा कंपनी अपनी ज़िम्मेदारी से मुकर नहीं सकती। व्यक्ति के साथ-साथ एक कंपनी भी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है और बीमा कंपनियों का रवैया स्पष्ट रूप से सेवा में कमी को दर्शाता है।

सभी पक्षों की दलीलों और सबूतों की गहन सुनवाई के बाद, जिला उपभोक्ता आयोग ने 29 मई 2024 को कोहली परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने बीमा कंपनियों के तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया और उन्हें ‘सेवा में भारी कमी’ का दोषी माना।

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत एक ऐतिहासिक फैसला

यह मामला कोरबा जिला उपभोक्ता आयोग के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मामला है, जिसमें इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। आयोग ने अपने फैसले में:

एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस और रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस को आदेश दिया कि वे क्रमशः 50 लाख और 35 लाख रुपए (कुल 85 लाख रुपए) की मूल ऋण राशि का भुगतान 6% वार्षिक ब्याज के साथ करें।

दोनों कंपनियों पर अलग-अलग 25-25 हजार रुपए का जुर्माना मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए लगाया गया।

इसके अतिरिक्त, दोनों कंपनियों को 15-15 हजार रुपए वाद व्यय के रूप में भी परिवादी को देने का आदेश दिया गया।

यह फैसला नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के लागू होने के बाद एक मिसाल कायम करता है, जिसके तहत जिला आयोग 50 लाख रुपए तक के मामलों की सुनवाई कर सकता है। इस मामले में दो अलग-अलग शिकायतें होने के कारण, आयोग ने कुल 85 लाख रुपए के क्लेम पर यह ऐतिहासिक निर्णय दिया। यह जीत न केवल कोहली परिवार के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि यह बड़ी कंपनियों को एक कड़ा संदेश भी देती है कि वे उपभोक्ताओं के अधिकारों को हल्के में नहीं ले सकतीं।

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