गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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रैली, विरोध प्रदर्शन करके गेवरा परियोजना विस्तार की जनसुनवाई निरस्त करने की मांग की किसान सभा ने

पुराने रोजगार प्रकरणों का निराकरण किए बिना और प्रत्येक खातेदार को रोजगार दिए बिना खदान विस्तार नहीं होने देंगे: प्रशांत

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने गेवरा में रैली निकालकर कर एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान सभा के नेतृत्व में रैली निकालकर प्रत्येक खातेदार को रोजगार दो, भू विस्थापित परिवार के सदस्यों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा देने,बसावट गांव को माडल गांव बनाने के साथ भू विस्थापितों की समस्याओं की मांगों की तकथिया हाथों में लेकर जनसुनवाई स्थल की और विरोध करने आगे बढ़ने लगे पुलिस ने बेरिकेटिंग करके भू विस्थापितों को रोकने का प्रयास किया लेकिन पहले बेरीकेट को तोड़ने में भू विस्थापित सफल हो गए। भू विस्थापितों के आक्रोश को देखते हुए दूसरे बेरीकेट में भारी पुलिस बल तैनात था जहां पुलिस से नोक झोंक भी हुई और भूविस्थापित वहीं नारेबाजी करने लगे और जनसुनवाई निरस्त करने की मांग करने लगे।

किसान सभा नेताओं ने भूविस्थापितों के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों, मुआवजा, बसावट आदि की समस्याओं का निराकरण करने और कोयला खनन के कारण बढ़ते प्रदूषण और गिरते जल स्तर की समस्या को प्राथमिकता से हल करने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कोरबा जिला पहले से ही देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। जिले के लोगों के स्वास्थ पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और आम जनता कई प्रकार की प्रदूषणजनित बीमारियों के शिकार होंगे।विस्थापन प्रभावितों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए बिना फर्जी आंकड़े पेस करके जनसुनवाई की जा रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने आरोप लगाया कि यह जन सुनवाई वास्तविक तथ्यों को छुपाकर, गलत आंकड़ें पेश कर तथा आम जनता को गुमराह करके की जा रही है, ताकि पर्यावरणीय स्वीकृति आसानी से हासिल की जा सके। भू विस्थापितों ने कहा है कि पूर्व में खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बाद भी भू विस्थापित रोजगार व बसावट के लिए भटक रहे हैं और अपने अधिकार को पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं। पुराने लंबित रोजगार के प्रकरणों का पहले निराकरण करें उसके बाद ही खदान विस्तार की बात करें।किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि खदान विस्तार से छोटे किसान अपने आजीविका से वंचित हो जायेंगे। इन छोटे खातेदारों को रोजगार नहीं देने की नीति एसईसीएल ने बना रखी है। इसलिए खदान परियोजना विस्तार का समर्थन नहीं किया जा सकता।
किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने कहा है कि प्रशासन की मदद से आम जनता को धोका देकर अगर पर्यावरण जन सुनवाई कराने में सफल भी हो जाते है तब भी भूविस्थापित अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे तो खदान विस्तार कैसे होगा। विरोध प्रदर्शन में 25 गांव से बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल हुए।

(भूविस्थापितों ने पुलिस के घेरे को तोड़कर निकाली रैली)

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सुमेंद्र सिंह कंवर ठकराल, जय कौशिक, इंदल दास, संजय यादव, पुरषोत्तम, रामायण, देव कुंवर, जान कुंवर, बीर सिंह, बसंत चौहान, पवन यादव, उमेश, नरेंद्र राठौर, जगदीश कंवर, राजकुमार कंवर, कांति, पूर्णिमा, अघन बाई, लता बाई, अमृत बाई, जान कुंवर, जीरा बाई, सुभद्रा कंवर, शिव दयाल, अनिरुद्ध, आनंद दास, मोहनलाल के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित उपस्थित थे।

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