कांकेर (पब्लिक फोरम)। जिले के नगरीय निकायों में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारी पिछले दो माह से अपने वार्षिक बोनस के भुगतान के लिए भटक रहे हैं। शासकीय आदेशों के बावजूद कर्मचारियों को अब तक बोनस नहीं मिला है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने प्लेसमेंट कर्मचारियों की बोनस पात्रता को स्वीकार तो कर लिया है, लेकिन संबंधित प्लेसमेंट एजेंसी को इसे लागू कराने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय कर्मचारी यूनियन के राज्य अध्यक्ष द्वारका कोसरिया और महासचिव भाव सिंह कश्यप ने शुक्रवार को जारी एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि नगरीय निकायों में शासकीय आदेशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है और कर्मचारियों को उनके वैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
यूनियन नेताओं ने जिले के श्रम पदाधिकारी की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि बार-बार शिकायत और ज्ञापन सौंपने के बावजूद श्रम पदाधिकारी पूरी तरह निष्क्रिय बने हुए हैं, जबकि जिले में श्रम कानूनों को लागू कराने की जिम्मेदारी उन्हीं की है।
नेताओं ने श्रम पदाधिकारी के एक बयान को हास्यास्पद बताया, जिसमें उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि उन्हें बोनस के बारे में जानकारी नहीं है। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें शासन का वह आदेश भी उपलब्ध कराया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि प्लेसमेंट कर्मचारियों की नियुक्ति पर श्रम विभाग के सभी नियमों का पालन अनिवार्य है। इसके बाद भी श्रम पदाधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
यूनियन नेताओं ने श्रम पदाधिकारी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वे अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। यूनियन ने ज्ञापन के माध्यम से श्रम पदाधिकारी से यूनियन प्रतिनिधियों, प्लेसमेंट एजेंसी और मुख्य नगर पालिका अधिकारी की बैठक आयोजित कर समस्या के समाधान का रास्ता निकालने का अनुरोध किया था, लेकिन इस दिशा में भी कोई पहल नहीं की गई है।
नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि श्रम पदाधिकारी के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ तो वे उन्हें बर्खास्त करने की मांग श्रमायुक्त से करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रम पदाधिकारी की लापरवाही के कारण मजदूरों और कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
यूनियन ने जल्द ही जिलाधीश को भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है।





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